जब तक महासंग्राम नहीं होगा, तब तक टीईटी अनिवार्यता में संशोधन नहीं होगा - हिमांशु राणा
जब तक महासंग्राम नहीं होगा, तब तक टीईटी अनिवार्यता में संशोधन नहीं होगा - हिमांशु राणा
पढ़ें, सच्चाई से रूबरू कराती हिमांशु राणा की पोस्ट
NCTE को Clarification देना होगा, Seriously?
माननीय सर्वोच्च न्यायालय से आये निर्णय को लेकर विभिन्न लोग इस बात की चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं कि अब गेंद NCTE के पाले में है और उसको ही clarify करना होगा कि Act के लागू होने से पहले वाले नियुक्त शिक्षकों पर TET लागू होगी या नहीं।
NCTE का हलफ़नामा मेरे पास है जिसमें साफ़ कहा गया है {PARA 11,12 & 13} अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करना होगा। लेकिन 2001 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर ये लागू नहीं होगा।
इसके अलावा NCTE regulations 2001 के अनुसार नियुक्त शिक्षकों पर ये नियम लागू होंगे।
Act के आने के बाद शिक्षकों को TET भी देना होगा।
2017 में जो Amendment आया था उसमें NCTE ने affidavit से स्पष्ट कर तो कर दिया था जिसको जस्टिस दत्ता ने भी माना लेकिन उन्होंने अपने निर्णय के PARA 196 or 197 में Article 21A को आधार मानते हुए कहा भी है कि मेरे समक्ष केंद्र सरकार का ये संशोधन है इसलिए TET सब पर लागू होती है।
NCTE ने हलफ़नामा दे दिया है, देश के महान्यायवादी (Attorney General) माननीय वेंकटरमनी जी ने स्पष्ट तौर पर 2017 के संशोधन को प्रभावी बताया है। संशोधन प्रशिक्षण को लेकर था लेकिन अंत में PARA 5 (to ensure all in-service untrained teachers acquire the minimum qualifications as prescribed by the NCTE) Act लागू होने से पूर्व के शिक्षकों के लिए गले की फाँस बन गया है।
इसमें हो क्या?
NCTE क्या है पहले इसको समझिये -
इसकी स्थापना 1973 में एक औपचारिकता मात्र थी क्योंकि इसको legal right नहीं था केवल ये एक advisory body थी, 1993 में NCTE act आया जिसके अनुसार NCTE को केवल teaching institutions को मान्यता देने हेतु, शिक्षण प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम की ज़िम्मेदारी दी गई। नियुक्ति के प्रावधानों के लिए NCTE का कोई role नहीं था लेकिन काफ़ी असमानता देखते हुए NCTE regulations 2001 आये जिनके अनुसार अब NCTE न्यूनतम अहर्ता (BEd, BTC, DElEd आदि) तय करना, इसके अलावा प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना आदि और इसको watchdog बनाया गया शिक्षण संस्थानों का।
वर्ष 2002 में संविधान में Article 21A आया जिसके तहत वर्ष 2009 में RTE Act बना और 2010 में लागू हुआ । इसी act के section 23 में NCTE को Parental body बनाया गया कि अब न्यूनतम अहर्ता NCTE की तय करेगी और पूरी power NCTE act के section 12A में निहित कर दी ।
NCTE कैसे बना अब ये सोचिए ACT से, ACT कैसे बना legislation (parliament) से तो अब आप स्वयं सोचिए कि 2017 का संशोधन किसने किया parliament ने तो फिर NCTE superior हुआ या Parliament इसलिए पहले दिन से कह रहा हूँ कि केंद्र सरकार संशोधन नहीं करेगी तो आप कोर्ट के समक्ष क्या कहेंगे ख़ैर आप तो कहेंगे भी क्या कोर्ट ही कह देगी Parliament से आपके लिए RULE बने हैं जो कि Article 368 के अनुसार संशोधित हुए हैं, ऐसा नहीं है कि इसका Judicial Review नहीं है लेकिन tussle है पर यहाँ तो tussle भी नहीं दिखता है क्योंकि जस्टिस दत्ता 2017 के संशोधन को Article 21A से जोड़ रहे हैं।
जब तक महासंग्राम नहीं होगा तब तक संशोधन नहीं होगा इसलिए कहा था कि राज्य सरकारों से कोर्ट कोर्ट खेलने के बजाए वहाँ के CM पत्र लिखे PM को कि ये संशोधन कीजिए लेकिन सभी लग गए हैं कोर्ट-कोर्ट में। policy matter कह लो या संशोधन कर तो केंद्र ही पाएगा ।
बाक़ी NCTE को clear करना था उसके affidavit का clarification आपको बताना था बता दिया है। शेष आपकी सोच
पोस्ट को अग्रणी वरिष्ठ शिक्षकों तक पहुँचा दें ताकि केस लड़ने में उनको बल मिले
#rana