फर्जी शिक्षक नियुक्ति घोटाले में एफआईआर दर्ज होते ही बेसिक शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में भी जांच शुरू की।

फर्जी शिक्षक नियुक्ति घोटाले में एफआईआर दर्ज होते ही बेसिक शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में भी जांच शुरू की।

इस घोटाले के सामने के बाद, शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। जैसे ही मामला सामने आया, शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में इसी तरह की फर्जी नियुक्तियों की जांच शुरू कर दी है। इस घोटाले के बाद, यह आशंका है कि इसी तरह की फर्जी नियुक्तियां अन्य जिलों में की जा सकती हैं और यदि पूरी तरह से जांच की जाती है, तो ऐसे कई और मामले सामने आ सकते हैं। 

इस मामले की गंभीरता के मद्देनजर, बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के बीएसए को निर्देश दिया है कि वे अपने यहां सभी नियुक्तियों से संबंधित रिकॉर्ड की जांच करें। इसके अलावा, विभागीय स्तर पर एक टीम का गठन किया गया है, जो इस तरह की नियुक्तियों से संबंधित दस्तावेजों की गहराई से जांच कर रहा है। 

अधिकारियों की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की तैयारी 

जांच में, यह स्पष्ट हो गया है कि यह घोटाला अकेले स्कूल स्तर पर नहीं हुआ था, इसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों के साथ संबंध थे। यह घोटाला इतना बड़ा था कि इसे बीएसए कार्यालय और उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता था। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों और विद्यालय प्रबंधक पर ही कार्रवाई करेगा, या फिर इसमें शामिल बड़े अधिकारियों पर भी शिकंजा कसेगा? 

इन अभियुक्तों की भूमिका की अब पुलिस द्वारा गहराई से जांच की जा रही है। इस बात की संभावना है कि इस घोटाले में और भी बड़े नाम आगे आ सकते हैं। इसके अलावा, सभी दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराने की भी तैयारी की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कब और कैसे दस्तावेजों में हेरफेर किया गया।

आजमगढ़ में तत्कालीन BSA समेत क्लर्क, शिक्षक सहित 9 पर मुकदमा दर्ज, पांच शिक्षिकाओं की फर्जी नियुक्ति का आरोप 

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बीएसए राजीव पाठक, जिले के पूर्व बीएसए मनोज कुमार मिश्रा, पटल सहायक तत्समय, पटल सहायक डिस्पैच, जय किशन गुप्ता प्रबंधक, सहित 5 शिक्षिकाओं पर एफआईआर दर्ज हुई है। 

फर्जी शिक्षक भर्ती मामले में संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़ मंडल ने मामले की जांच कराई तो पता चला कि पांचो शिक्षिकाओं की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल नियमावली 1975 के प्रावधानों का पालन न करके प्रबंधक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आपसी साठ गांठ करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह नियुक्ति की गई।

कोविड संक्रमण के समय दिखाया गया साक्षात्कार

इस मामले में जांच में ये बातें सामने आई कि पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमरेश कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से अनुमोदन प्रदान किया गया। इसके साथ ही लॉकडाउन के समय साक्षात्कार दर्शाया गया। इसके साथ ही अनियमित रूप से नियुक्त तीन शिक्षकों को वेतन भुगतान रोकने का आदेश किसी भी स्तर से न किए जाने के कारण इन्हें राजकोष से भुगतान किया जाता रहा। इसके साथ ही बार-बार विद्यालय प्रबंधन को बुलाए जाने पर भी उपस्थित नहीं होने के मामले में यह शिकायत दर्ज कराई गई।

इस मामले में मनोज कुमार मिश्रा जोकि तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी थे, जांच रिपोर्ट में आरोपित पाए गए जिसके आधार पर नौ आरोपियों के विरुद्ध यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिले के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक और एडी बेसिक रहे मनोज कुमार मिश्रा पर जिले में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे थे। 

एक लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुआ था एडी बेसिक कार्यालय में तैनात बाबू

आजमगढ़ जिले में तैनात रहे एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा के कार्यालय में तैनात अस्सिटेंट क्लर्क मनोज श्रीवास्तव 19 फरवरी 2024 को एक लाख की रिश्वत लेते जिले की एंट्री करप्शन टीम ने गिरफ्तार किया था।

एंटी करप्शन की पूछताछ टीम में आरोपी क्लर्क मनोज श्रीवास्तव ने बताया था कि इस पैसे को एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा तक पहुंचाना था। इस मामले में भी एडी बेसिक मनोज कुमार मिश्रा पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

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