इन जिलों की एक ही परिवार की तीन-तीन बहनों ने यूपी पुलिस की भर्ती में चयनित होकर जिले का नाम किया रोशन, पढ़ें प्रेरक खबर

इन जिलों की एक ही परिवार की तीन-तीन बहनों ने यूपी पुलिस की भर्ती में चयनित होकर जिले का नाम किया रोशन, पढ़ें प्रेरक खबर

इतिहास गवाह रहा है, बच्चों की तरक्की के लिए माता-पिता सदैव हर स्थिति और परिस्थिति में अपने बच्चों की खुशहाली और तरक्की के लिए त्याग करते आए हैं और जब बच्चे सफल होते हैं तो उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत सफल हो गई है. इसकी ताजा मिशाल यूपी के दो जिलों की तीन-तीन बहनों ने यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती में चयनित होकर पेश की। 

आइए जानें इन बहनों की सफलता के पीछे की कहानी...

पहला मामला

उन्नाव । कई लोग ऐसे हैं जो जीवन की छोटी मुश्किलों को अपनी तरक्की में बड़ी बाधा मान लेते हैं। जबकि, बहुत से लोग ऐसे हैं जो बड़ी बाधाओं के सामने भी हार नहीं मानते और मजबूत हौसले और इरादे से तरक्की करते जाते हैं। इसकी मिशाल उन्नाव जिले की तीन बहनों ने पेश की है। जिले के हसनगंज तहसील के गांव सुंदरपुर पोस्ट चांदपुर झलिहाई  की अनुसूचित जाति की कल्पना 25 वर्ष ने अपने पिता रवींद्र कुमार की 2017 में बीमारी से मृत्यु के बाद हिम्मत नहीं हारी और पिता की जगह मृतक आश्रित में वर्ष 2018 अक्टूबर में  होमगार्ड की नौकरी करके अपनी 2 बहनों और माता राजकुमारी और छोटे भाई को उन्नाव लाकर किराए का कमरा लेकर रहने लगी। इसके साथ दिन में ड्यूटी और रात में कल्पना ने खुद और अपनी छोटी दोनों बहनों अर्चना 23 वर्ष और सुलोचना 21 वर्ष को पढ़ाकर कठिन परिश्रम करके सिपाही भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करके तीनों बहनों ने एक साथ यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर गांव और घर का नाम रोशन किया है।

इन तीनों बहनों की सफलता के पीछे  उनकी माता राजकुमारी  का भी बड़ा त्याग है, जिन्होंने पति की मौत के बाद हिम्मत नहीं हारी और बड़ी बेटी कल्पना के मजबूत इरादों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर  कठिन हालातों से डटकर बेटियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया । माता राजकुमारी ने आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, लेकिन उन्होंने बेटियों की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी। जिसमें बड़ी बेटी कल्पना ने अपनी मां का भरपूर साथ दिया। जिसके कारण आज उनके साथ उनकी 2 बहनों ने यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण की है।

माता  राजकुमारी  के इस संघर्ष और बलिदान को तीनों बहनों ने बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से तैयारी की और एक साथ परीक्षा पास कर यूपी पुलिस में सिपाही पद पर चयनित हो गई। यह खबर पूरे परिवार और गांव और जिले के लिए गर्व का क्षण बन गई। तीनों बहनों के चयन की खबर मिलने के बाद से गांव में उत्सव का माहौल है। परिवार के लोग, रिश्तेदार और गांव के निवासी उन्हें बधाई दे रहे हैं।

दूसरा मामला

दूसरा मामला जौनपुर जिले के मड़ियाहूं तहसील के महमदपुर अजोशी गांव का है जहां तीन बहनों ने एक साथ यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर गांव और घर का नाम रोशन किया है। उनकी सफलता के पीछे उनके पिता का बड़ा त्याग है। बेटियों के सपनों को पूरा करने के लिए पिता स्वतंत्र कुमार चौहान ने अपनी जमीन तक बेच दी, ताकि बेतिया अच्छी तरह पढ़ाई और कोचिंग कर सकें।

पिता ने जमीन बेची, लेकिन बेटियों के सपने सच कर दिखाया

स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय इंद्रपाल चौहान के बेटे स्वतंत्र कुमार चौहान ने अपनी तीनों बेटियों खुशबू चौहान, कविता चौहान और सोनाली चौहान को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, लेकिन उन्होंने बेटियों की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी। जब जरूरत पड़ी, तो उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी, ताकि उनकी बेटियां अच्छी तरह से तैयारी कर सकें।

पिता के इस संघर्ष और बलिदान को तीनों बहनों ने बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से तैयारी की और एक साथ परीक्षा पास कर यूपी पुलिस में सिपाही पद पर चयनित हो गई। यह खबर पूरे परिवार और गांव के लिए गर्व का क्षण बन गई।

तीसरा मामला

तीसरा मामला यूपी के मिर्जापुर जिले का है जहां की तीन सगी बहनों ने यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में सफलता प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया है। तीनों बहनों ने गांव में ही रहकर की पढ़ाई और तैयारी की है। जिनके इस कामयाबी पर घर परिवार के लोग फूले नहीं समा रहे हैं। किसान पिता अनिल सिंह पटेल की तीनों बेटियों ने गांव परिवार का नाम रोशन किया है। तीनों बेटियां सुमन सिंह पटेल, मंजू सिंह पटेल और आराधना सिंह पटेल के पुलिस बनने पर घर परिवार के लोगों को बधाई देने की होड़ लग गई है।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के आखिरी छोर पर स्थित सोनभद्र जनपद के करमा थाना क्षेत्र के करकी गांव के रहने वाले अनिल सिंह पटेल पेशे से किसान हैं। खेती-बाड़ी करके उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखा है। तीनों बेटियां गांव में ही रहकर पढ़ाई के साथ यूपी पुलिस में भर्ती की तैयारी कर रही थीं।

सोनभद्र जिले के करमा थाना अंतर्गत करकी गांव के रहने वाले अनिल सिंह पटेल खेती-बाड़ी करते हैं जबकि उनकी पत्नी राजकुमारी देवी गृहणी हैं। दोनों माता-पिता ने तीनों बेटियां को पढ़ाई के साथ उनके आगे बढ़ने की राह आसान करने के साथ बेटियों को कभी भी बेटों से कमतर नहीं आंका।

चौथा मामला

चौथा मामला सुल्तानपुर जिले का है दो गांवों नौगवांतीर में 6 और मदनपुर से 2 सगे भाई बने पुलिसकर्मी। कुड़वार ब्लॉक के नौगवांतीर गांव से एक ही परिवार के तीन सदस्यों समेत कुल 6 युवाओं का चयन हुआ है। वहीं लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के मदनपुर गांव से दो सगे भाइयों ने भी सफलता मिली है।

कुड़वार ब्लॉक के नौगवांतीर गांव निवासी विनोद सिंह की दो बेटियां खुशी और नेहा तथा बेटा आदर्श पुलिस में चुने गए हैं। इसी गांव से सेना से रिटायर बब्बन सिंह के पुत्र सिंह, सुनील सिंह के पुत्र आशुतोष और श्रीशंकर सिंह के पुत्र उग्रसेन का भी चयन हुआ है।

लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के मदनपुर गांव से दो सगे भाइयों ने भी सफलता हासिल की है। व्यवसायी निजामुद्दीन के तीन बेटों ने परीक्षा दी थी। तीनों ने शारीरिक परीक्षा पास की। फाइनल रिजल्ट में मोहम्मद सलमान अली और मोहम्मद सैयद शाहबाज अली का चयन हुआ। तीसरे भाई का चयन कुछ नंबरों की कमी से नहीं हो पाया।

दोनों गांवों में चयनित अभ्यर्थियों के परिवारों में खुशी का माहौल है। रिश्तेदार और ग्रामीण बधाई देने पहुंच रहे हैं। निजामुद्दीन ने अपने बेटों की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए उनके शिक्षकों को भी बधाई दी है।

पांचवां मामला

यूपी के मिश्रिख (सीतापुर) जिले का है जहां एक किसान परिवार की दो बहनों व भाई ने आरक्षी यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल की। इससे परिवार में खुशियों का माहौल है। मोहकमपुर निवासी किसान रामनाथ शुक्ला व सीमा शुक्ला के बेटे राहुल शुक्ला, बेटी आरती व अंशिका शुक्ला ने 13 मार्च को घोषित परिणाम में एक साथ पुलिस भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल की है। रामनाथ शुक्ला खेती करते हैं। यह बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए परिवार के साथ करीब 20 साल पहले मिश्रिख नगर में आ गए थे। आरती और राहुल ने इससे पहले भी कई परीक्षाएं दी थीं। छोटी बहन अंशिका के लिए यह पहली परीक्षा थी। तीनों भाई बहनों ने बिना कोचिंग के सिर्फ सेल्फ स्टडी से यह मुकाम हासिल किया।

युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं ये बहनें

तीनों बहनों की यह उपलब्धि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही, यह कहानी उन माता-पिता के लिए भी एक संदेश है, जो संसाधनों की कमी के कारण बच्चों की शिक्षा को सीमित कर देते हैं। इन बहनों की सफलता ने यह साबित कर दिया कि किसी भी कठिनाई को पार कर कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। इन बहनों की यह सफलता समाज में बेटियों के लिए एक सशक्त संदेश बनकर उभरी है।

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