'Online Attendance' पर हाईकोर्ट की सख्ती: शिक्षकों में बढ़ती चिंता और अवसाद की स्थिति, पढ़ें यह पोस्ट

'Online Attendance' पर हाईकोर्ट की सख्ती: शिक्षकों में बढ़ती चिंता और अवसाद की स्थिति, पढ़ें यह पोस्ट

Online Attendance Ruckus- 

इसको लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस गिरी ने दो बार आदेश किए हैं, एक बार हेड इंचार्ज वाले मामले में रिकॉर्ड तलब किया गया और अब जो भी महिला शिक्षिका अपने निलंबन के विरुद्ध गई थी उनके लिए तो जिला अधिकारी आदि से बाकायदा आख्या मांगी गई है कि बताइए पूरे जिले में क्या स्थिति है ऑनलाइन हाजिरी को लेकर ? 

ये एक आहट है, सुगबुगाहट है भविष्य में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर लेकिन ये भी जान लीजिए स्थितियां इतनी विकट बन जाएंगी कि बेसिक में रोज़ झगड़े होने हैं क्योंकि समय से उपस्थित जो कि शिक्षक होते भी हैं उनके सामने कभी नेट की समस्या, कभी टैब की समस्या, कभी कोई आपदा की समस्या तमाम ऐसी उलझन रहेंगी कि शिक्षक अवसाद में ही रहेगा।

Online Attendance

इसको लेकर आज तक धरातल पर कोई exercise नहीं हुई है, चेकिंग करने ऐसे आते हैं जैसे स्कूलों में शिक्षक नहीं आतंकवादी कार्य कर रहे हैं या ईडी सीबीआई की raid होनी हो कि बताइए कहाँ क्या खर्चा हुआ और जब शिक्षक के समस्त कार्य पूर्ण हो तब अंत में बच्चों की तरफ़ ध्यान देते हैं और किसी न किसी minor गलती पर आपको पकड़ा जाता है फिर या तो इनके पेट भरो या शोषण सहो । 

सरकार बहुत अच्छे से जानती है कि शिक्षक समाज अवसाद में है बेसिक इस वक्त कठिन दौर से गुजर रहा है इसलिए legally इनको फँसा लिया जाए और इनके PTR की हकीकत केवल शिक्षक जानता है कि कहाँ कितने शिक्षक हैं और किस प्रकार से वे इनके administrative और अपने academic दायित्वों का निर्वहन कर रहा है । इसके अलावा आप सभी की अवगत करवा दूँ कि केंद्र ऑनलाइन डेटा ही मानता है और माँगता है जिसमे उत्तर-प्रदेश पीछे है क्योंकि केंद्र की फ़ाइलों में तो मौसम गुलाबी है जबकि धरातल पर तो आप हम ही जानते हैं । 

किसी भी शिक्षक को ऑनलाइन उपस्थिति से बैर नहीं होना चाहिए लेकिन शिक्षक हितों की माँगों का क्या ? इस वक्त मैं किसी को कुछ कहना नहीं चाहता हूँ लेकिन वाकई क्या कोई है आज जो अधिकारियों से आँख में आँख मिलाकर बात कर सके क्योंकि वर्तमान सत्ता में स्थाई शिक्षा विभाग में कैबिनेट मंत्री तक नहीं बना है और administrative sponsored state की तर्ज पर प्रदेश चल रहा है । 

हकीकत ये है कि तमाम विभाग खत्म कर दिए हैं , बच रहे हैं तो ये दो - शिक्षा और स्वास्थ्य , शिक्षा से इनका कोई लेना देना है नहीं क्योंकि जनता को केवल उतना शिक्षित रखना है कि वो बस इनका राशन समझ सकें और स्वास्थ्य की लंका भी जल्दी लगेगी क्योंकि फ्री के बीमे के बाद सरकारी अस्पतालों की क्या जरूरत है , हालांकि बच्चों के अभिभावकों के खाते में जा रही डीबीटी बढ़ाकर किसी भी दिन सुबह आपको उठाकर ये कह देंगे कि अब आपकी क्या जरूरत है ? 

आप लोग बस उतना दिमाग लगाते हैं जितना आपके स्वयं के लिए जरूरी हो लेकिन हकीकत यही है और बताने की जरूरत नहीं है आपको कि न्यायालयों में कौन बैठाया जा रहा है उस पर मैं टिप्पणी नहीं करूँगा । 

फिलहाल देखते हैं ऑनलाइन हेतु अभी कोर्ट क्या कहती है और हाँ एक बात और कोर्ट कोई नहीं जाना चाहता है लेकिन जाना पड़ता है जब आपके अधिकारों का हनन हो रहा हो उसमे चाहे मैं हूँ या आप हो , ये वर्तमान हकीकत है भ्रष्टाचार चरम पर है और अधिकारी शोषण बढ़ा रहे हैं बाक़ी आपकी हमारी सुनने और कहने वाला कोई नहीं है । 

#rana

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