ऑनलाइन कंटेंट पर सख्त हुआ आईटी एक्ट, 36 घंटे में हटाना होगा गैरकानूनी पोस्ट, 15 नवंबर से लागू होंगे नए संशोधन
ऑनलाइन कंटेंट पर सख्त हुआ आईटी एक्ट, 36 घंटे में हटाना होगा गैरकानूनी पोस्ट, 15 नवंबर से लागू होंगे नए संशोधन
सरकार ने बढ़ाया डिजिटल नियमों पर नियंत्रण
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन कंटेंट को लेकर सख्ती बढ़ाते हुए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) 2000 में बड़ा संशोधन किया है। इसके तहत इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021 में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। नई अधिसूचना के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेबसाइट और ऑनलाइन सर्विस प्रदाताओं को किसी भी गैरकानूनी या प्रतिबंधित कंटेंट को 36 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित नियम 15 नवंबर, 2025 से लागू होंगे। मंत्रालय ने यह कदम देश की संप्रभुता, अखंडता, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित ऑनलाइन सामग्री पर नियंत्रण मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया है।
अब प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ी जिम्मेदारी
नई गाइडलाइंस में आईटी रूल्स 2021 के रूल 3(1)(डी) को पूरी तरह से बदल दिया गया है। संशोधित प्रावधानों के तहत सरकार अब किसी भी प्लेटफॉर्म पर यूजर अकाउंट को सस्पेंड करने का अधिकार रखेगी।
इसके अलावा, यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी कंटेंट को “वास्तविक जानकारी” मानने की दो ही परिस्थितियाँ होंगी—
- जब किसी सक्षम न्यायालय से आदेश जारी हुआ हो।
- जब सरकार या उसकी अधिकृत एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखित सूचना दी गई हो।
यह सूचना केवल संयुक्त सचिव या समकक्ष अधिकारी (राज्य स्तर पर निदेशक या डीआईजी रैंक अधिकारी) के स्तर से नीचे नहीं दी जा सकेगी।
हर माह समीक्षा होगी आदेशों की
केंद्र ने कहा है कि सभी ऐसे आदेशों की मासिक समीक्षा संबंधित विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी। समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जारी किए गए आदेश आवश्यक और कानून की भावना के अनुरूप हों।
हर लिखित सूचना में यह स्पष्ट विवरण होगा कि आदेश किस कानूनी प्रावधान के तहत जारी हुआ, कौन-सा अवैध कार्य पाया गया और क्या कार्रवाई अपेक्षित है।
AI सामग्री पर नियंत्रण नहीं, पारदर्शिता लक्ष्य
इस बीच, कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़ी सामग्री पर लगाए गए लेबल संबंधी नियमों को लेकर उठे सवालों पर केंद्र ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (मेइटी) सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि एआई-निर्मित या संशोधित सामग्री पर लेबल लगाने का उद्देश्य नियंत्रण नहीं बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय का मकसद यह स्पष्ट करना है कि कौन-सा कंटेंट वास्तविक है और कौन एआई द्वारा तैयार किया गया, ताकि उपयोगकर्ता भ्रमित न हों।
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