अब नौकरी या व्यवसाय के दौरान कर सकेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी

अब नौकरी या व्यवसाय के दौरान कर सकेंगे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने शोध के दायरे को व्यापक बनाते हुए अब उन लोगों के लिए भी पीएचडी का रास्ता खोल दिया है, जो नौकरी या व्यवसाय की वजह से पीएचडी नहीं कर पा रहे थे। ऐसे अभ्यर्थियों के लिए अलग शुल्क संरचना तय की गई है। इन्हें अपेक्षाकृत ज्यादा फीस देनी होगी। 43 विषयों की 873 सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन गुरुवार से शुरू हो गए जो 22 अक्तूबर तक लिए जाएंगे। 873 में से 534 सीटें विश्वविद्यालय परिसर और 339 सीटें संबद्ध कॉलेजों की हैं। इविवि की इस पहल से जहां एक ओर अकादमिक शोध को नए आयाम मिलेंगे, वहीं समाज में व्यावहारिक अनुभव रखने वाले भी अकादमिक योगदान दे सकेंगे। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि नए नियमों से गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि शोध का दायरा और विविधता बढ़ेगी।

पांच साल का अनुभव होगा आवश्यक

निजी कॉर्पोरेट, सरकारी, सार्वजनिक उपक्रम, अनुसंधान संगठन या उद्योग क्षेत्र में कम से कम पांच साल काम कर चुके पेशेवर अंशकालिक पीएचडी कर सकेंगे। इनके लिए यूजीसी नेट उत्तीर्ण होना आवश्यक नहीं होगी। इनके आवेदन डॉक्टोरल प्रोग्राम कमेटी (डीपीसी) के पास जाएंगे। कमेटी की सिफारिश के बाद कुलपति की अनुमति से इन्हें प्रवेश मिलेगा। इन्हें किसी तरह की फेलोशिप भी नहीं दी जाएगी।

देना होगा 50 हजार वार्षिक शुल्क

ऐसे अभ्यर्थियों से बतौर पंजीकरण शुल्क 25 हजार रुपये लिए जाएंगे। प्री-पीएचडी कोर्स शुल्क 20 हजार तय किया गया है जबकि वार्षिक शुल्क पचास हजार, प्रयोगात्मक विषयों के लिए लैब डेवलपमेंट शुल्क दस हजार तय किया गया है। थीसिस जमा करने पर तीस हजार रुपये देने होंगे।

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