बिना अनुमति विदेश जाने पर गुरुजी के खिलाफ होगी कार्यवाही

बिना अनुमति विदेश जाने पर गुरुजी के खिलाफ होगी कार्यवाही

कानपुर / लखनऊ, परिषदीय विद्यालय 20 मई से 15 जून तक के लिए बंद हो जाएंगे। इससे पहले बीएसए ने सभी विद्यालयों के शिक्षकों से कहा है कि जो भी विभागीय पेंडिंग कार्य हैं उन्हें स्कूल बंद होने से पहले पूर्ण कर लिया जाए। बीएसए ने इस संबंध में बीईओ को भी निर्देशित किया है। ऐसे में अगर कोई शिक्षक विदेश घूमने जाना चाहता है तो वह इसके लिए विभाग से अनुमति जरूरी प्राप्त कर ले क्योंकि बिना विभागीय अनुमति के विदेश घूमने गये तो सख्त कार्यवाही की जायेगी। इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों और खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गये हैं। किसी भी जनपद में बिना अनुमति के कोई भी शिक्षक विदेश जाता है और उसके साक्ष्य मिलते हैं तो सख्त कार्यवाही होगी। 

Sir Ji Ki Pathshala

  • 20 मई से 15 जून तक के लिए बंद हो जाते हैं विद्यालय
  • इस दौरान कई शिक्षक बिना बताए चले जाते हैं विदेशी यात्रा पर

अधिकारियों ने कहा स्कूलों में यदि ग्रीष्मावकाश है तो भी अनुमति लेना जरूरी होगा। नियम के मुताबिक शिक्षक हो या कर्मचारी किसी को भी विदेश जाने के लिए पहले बीएसए के पास आवेदन करना होता है। उसके बाद बीएसए बीईओ से रिपोर्ट लेते है फिर बीएसए विदेश जाने की अनुमति के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव के पास फाइल भेजते है फिर सचिव ही शिक्षकों को विदेश जाने की अनुमति देते हैं। अगर कोई शिक्षक बिना अनुमति के विदेश जाता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही होती है।

इस बार पकड़े गये तो दर्ज होगा सर्विस बुक पर रिकॉर्ड

मौजूदा समय में सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश होने वाला है। इस बार यदि कोई शिक्षक बिना अनुमति के विदेश गया तो उसे अनुशासनहीनता माना जायेगा और रिकॉर्ड मानव संपदा पोर्टल पर निहीत सर्विस बुक पर भी चढ़ाया जायेगा।

इस तरह मिलती है विदेश यात्रा की अनुमति

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी शिक्षक को विदेश जाना है तो पहले वह बीएसए के पास आवेदन करे क्योंकि वही उसका नियुक्ति प्राधिकारी होता है। उसके बाद बीईओ से शिक्षक की कार्यशैली की जांच कराई जाती है फिर सचिव परिषद को फाइल भेज दी जाती है। फिर सचिव पर निर्भर रहता है कि वह विदेश जाने की अनुमति देते हैं कि नहीं इसलिए अनुमति लेने से डरते हैं शिक्षक अनुमति मिलने के बाद भी शिक्षक पर नो वर्क नो सैलरी का फॉर्मूला लगाया जाता है। ऐसे में शिक्षक अपना वेतन कटने के डर से गुपचुप वाला रास्ता अपनाते हैं। इस बारे में अभी तक कई अलग- अलग जनपदों में कई शिक्षकों पर कार्यवाही हो चुकी है।

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