8th Pay Commission: दो साल नहीं, केवल 200 दिन में ही लाभ देगी मोदी सरकार, बनेगा नया रिकॉर्ड

8th Pay Commission: दो साल नहीं, केवल 200 दिन में ही लाभ देगी मोदी सरकार, बनेगा नया रिकॉर्ड

केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। इस सप्ताह वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने आयोग के कार्य के लिए 35 पदों का विवरण जारी किया है, जिन्हें प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जाएगा। इन कर्मचारियों के लिए पांच साल की एपीएआर और विजिलेंस क्लीयरेंस जैसे दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया था कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी। अब आयोग के गठन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। इसके लिए 35 कर्मचारियों की एक टीम गठित की जाएगी, जो प्रतिनियुक्ति पर कार्य करेगी। इसके लिए आवेदन भी मांगे गए हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि आजादी के बाद यह पहला मौका होगा, जब केंद्र सरकार केवल 200 दिन में वेतन आयोग का गठन कर उसकी सिफारिशें लागू कर देगी। अब तक गठित सभी वेतन आयोगों की प्रक्रिया और सिफारिशें लागू होने में लगभग दो से ढाई साल लगते थे। पहली बार ऐसा होगा कि यह प्रक्रिया एक साल से कम समय में पूरी होगी।

हालांकि, अभी तक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की घोषणा नहीं हुई है। वित्त मंत्रालय ने 35 पदों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने आयोग के 'टर्म ऑफ रेफरेंस' के लिए सभी हितधारकों से सुझाव मांगे थे। 10 फरवरी को राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक में कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगें 'टर्म ऑफ रेफरेंस' में शामिल करने के लिए सिफारिशें भेजी थीं। माना जा रहा है कि सरकार इस माह 'टर्म ऑफ रेफरेंस' की घोषणा कर सकती है।

कम समय में बड़ा लक्ष्य साधने की तैयारी

सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसका मतलब है कि आयोग को अपनी रिपोर्ट 6-7 महीने में तैयार करनी होगी। सरकार को इस अवधि में रिपोर्ट की समीक्षा और उसे लागू करना होगा। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, स्टाफ भर्ती शुरू हो चुकी है और जल्द ही आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की घोषणा हो सकती है। 

मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि इस बार सरकार को ज्यादा समय नहीं लगेगा, क्योंकि सातवें वेतन आयोग के 'पे मेट्रिक्स' को ही आधार बनाया जाएगा। इसमें केवल डेटा अपडेट करना होगा। यह पे मेट्रिक्स 'डॉ. एक्राय्ड' फॉर्मूले पर आधारित है। अब केवल फिटमेंट फैक्टर पर काम होगा। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.0 होता है, तो न्यूनतम बेसिक वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 36,000 रुपये हो सकता है। अगर यह 1.9 होता है, तो बेसिक वेतन 34,200 रुपये होगा। हालांकि, यह सरकार के विवेक पर निर्भर है।

अन्य संभावित बदलाव

कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर बीमा राशि को बढ़ाया जाए, क्योंकि वर्तमान राशि बहुत कम है। इसके अलावा, एचआरए और टीए में बदलाव की संभावना है। पे मेट्रिक्स में वर्तमान 18 स्तरों को कुछ हद तक मर्ज किया जा सकता है।

आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद कर्मचारी संगठनों में चर्चा थी कि क्या इस बार मोदी सरकार रिकॉर्ड बनाएगी। पहले के आयोगों की सिफारिशें लागू होने में दो से ढाई साल लगते थे, लेकिन इस बार केवल 6-7 महीने में सारी प्रक्रिया पूरी होनी है। 

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है कि वेतन संशोधन हर 10 साल की बजाय 5 साल में होना चाहिए। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण 10 साल का अंतर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए उपयुक्त नहीं है। अभी तक आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और 'टर्म ऑफ रेफरेंस' की घोषणा नहीं हुई है। इनके स्पष्ट होने पर ही स्थिति और स्पष्ट होगी। 

एसबी यादव के अनुसार, पहले वेतन आयोग के सदस्य विदेशों में अध्ययन के लिए जाते थे, जिससे समय लगता था। अब डिजिटल युग में सभी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। अन्य देशों के वेतनमान और आर्थिक नीतियों का अध्ययन भी डिजिटल माध्यम से हो सकता है। इसलिए इस बार कम समय में काम पूरा होने की संभावना है। पहले की सरकारों में वेतन आयोग की प्रक्रिया में 18 महीने से ढाई साल तक लगते थे, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया रिकॉर्ड समय में पूरी हो सकती है।

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