निपुण लक्ष्य प्राप्त करने वाले विद्यालयों को मिलेगी ₹ 25000 की विशेष धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र, देखें मानक एवं दिशा-निर्देश

निपुण लक्ष्य प्राप्त करने वाले विद्यालयों को मिलेगी ₹ 25000 की विशेष धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र, देखें मानक एवं दिशा-निर्देश 

"निपुण भारत मिशन" के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभिन्न शासनादेशों के अंतर्गत प्रदेश के समस्त जनपदों में विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। निपुण भारत मिशन के अन्तर्गत बालवाटिका से कक्षा-2 हेतु निर्धारित लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से प्राप्त करने के लिए एक अभियान के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य जनपद एवं ब्लॉक स्तर पर सतत् रूप से प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन प्रदान करने से प्रधानाध्यापकों के प्रदर्शन में गुणात्मक सुधार परिलक्षित होगा। 

अतः निपुण लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से प्राप्त किये जाने के उद्देश्य से निपुण भारत चैम्पियन पुरस्कार योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है। उक्त योजना के अन्तर्गत नामांकन करने वाले प्रधानाध्यापकों के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन कराया जायेगा तथा उत्कृष्ट प्रयासों को सम्मानित किया जाएगा।

➤ चैम्पियन पुरस्कार का उद्देश्य:-

  1. उत्कृष्ट कार्य करने वाले अध्यापकों, अधिकारियों एवं समस्त हितधारकों का मनोबल बढ़ाना, जिससे वे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने हेतु अभिप्रेरित हो सकें। 
  2. शिक्षक-विद्यार्थी आत्मीय संबंध के उत्कृष्ट रूप का प्रदर्शन सुनिश्चित करना।
  3. शैक्षणिक गतिविधियों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करना। 
  4. शैक्षणिक एवं पर्यवेक्षणीय अधिकारियों में उतरदायित्वपूर्ण भावना का विकास करना।
  5. प्रतिदर्श (डिमॉन्स्ट्रेशन) विद्यालय विकसित करना।
  6. "पियर लर्निंग" के लिए सकारात्मक वातावरण का सृजन करना तथा सीखने की प्रक्रिया को गति प्रदान करना।
  7. नवाचारी टीचिंग लर्निंग मैटिरियल एवं उत्कृष्ट शैक्षिक प्रथाओं का बेहतर प्रयोग एवं प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराना।
  8. शिक्षकों के व्यवसायिक विकास की कार्ययोजना विकसित करना।

➤ चैम्पियन पुरस्कार के मानक:-

शैक्षिक सत्र 2024-25, 2025-26 एवं 2026-27 में निपुण भारत मिशन के अन्तर्गत निम्नांकित मानकों के आधार पर निपुण चैम्पियन पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे -

  1. निपुण लक्ष्य एवं सूची के अनुरूप किसी परिषदीय प्राथमिक विद्यालय के नामांकन के सापेक्ष 80 प्रतिशत बच्चों द्वारा निर्धारित दक्षताएं प्राप्त की जायें । तत्संबंधी लक्ष्य एवं सूची संलग्न है।
  2. विगत 03 शैक्षिक सत्रों में परिषदीय प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5) में बच्चों के नामांकन में निरन्तर वृद्धि हुई हो तथा किसी भी शैक्षिक सत्र में छात्र नामांकन 100 से कम नहीं होना चाहिये।
  3. उल्लिखित शैक्षिक सत्र में परिषदीय प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5) में बच्चों की औसत उपस्थिति 90 प्रतिशत से अधिक हो।

उपर्युक्तानुसार लक्ष्य हासिल करने वाले परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों का स्वतंत्र वाह्य मूल्यांकन किये जाने के उपरान्त विद्यालय को "निपुण विद्यालय" तथा प्रधानाध्यापक को "निपुण चैम्पियन हेड मास्टर ऑफ दि डिस्ट्रिक्ट" घोषित किया जायेगा। निर्धारित मानकों के क्रम में सर्वश्रेष्ठ 400 चयनित प्रधानाध्यापकों को निपुण चैम्पियन पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा।

➤ मूल्यांकन प्रक्रियाः-

  1. 'निपुण लक्ष्य एवं सूची के अनुरूप परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में नामांकन के सापेक्ष शत-प्रतिशत बच्चों द्वारा निर्धारित दक्षताएं हासिल किये जाने के उपरान्त सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा अपने विद्यालय के मूल्यांकन हेतु नामांकन किया जायेगा। उक्त के संबंध में सुसंगत निर्देश राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा जारी किये जायेंगे।
  2. प्रधानाध्यापक द्वारा नामांकन के उपरान्त सर्वप्रथम प्राचार्य, डायट के निर्देशन में एकेडमिक रिसोर्स पर्सन ( ए0आर0पी0) एवं डायट मेण्टर अथवा डी0एल0एड0 प्रशिक्षुओं के माध्यम से निर्धारित मानकों के अनुरूप नामांकित विद्यालय का मूल्यांकन किया जायेगा ।
  3. छात्र नामांकन एवं उपस्थिति का डेटा यू-डायस/प्रेरणा पोर्टल के माध्यम से प्राप्त किया जायेगा।
  4. डायट प्राचार्य द्वारा निपुण विद्यालय की पुष्टि किये जाने के उपरान्त राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा चयनित स्वतंत्र वाय संस्था अथवा एस0सी0ई0आर0टी0 स्तर से नामित टीम द्वारा उक्त विद्यालय के शत-प्रतिशत बच्चों का मूल्यांकन किया जायेगा। उक्त मूल्यांकन में पारदर्शी आई0टी0 प्रणाली का प्रयोग किया जायेगा। मूल्यांकन प्रक्रिया राज्य परियोजना कार्यालय एवं एस०सी०ई०आर०टी० द्वारा गठित कोर टीम एवं स्वतंत्र संगणकों के पर्यवेक्षण में पूर्ण की जायेगी तत्संबंधी निर्देश राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा द्वारा निर्गत किये जायेंगे।
  5. स्वतंत्र मूल्यांकन में सफल प्रधानाध्यापकों के लिये निपुण चैम्पियन पुरस्कारों की घोषणा की जायेगी।

➤ पुरस्कार एवं प्रोत्साहनः-

"निपुण विद्यालय" का लक्ष्य हासिल करने वाले परिषदीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों को निम्नानुसार पुरस्कृत किया जायेगा:-

  1. "निपुण विद्यालय" का लक्ष्य हासिल करने वाले विद्यालय को रू0 25,000/- की विशेष धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जायेगा । उक्त धनराशि का प्रयोग प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय स्तर पर खेलकूद सामग्री क्रय अथवा नवाचारी शैक्षणिक गतिविधियों के लिये किया जायेगा।
  2. निपुण विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों को विभिन्न अवसरों यथा-राज्य, जनपद एवं विकासखण्ड स्तर पर आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों/समारोह आदि में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मानित किया जायेगा।
  3. प्रधानाध्यापकों एवं सहायक अध्यापकों द्वारा किये गये उत्कृष्ट प्रयासों एवं सफलता की कहानियों का अभिलेखीकरण किया जाएगा तथा प्रेरणा पत्रिका' में प्रकाशित कराया जायेगा।
  4. निपुण विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों का उत्कृष्ट संस्थाओं में प्रशिक्षण कराया जायेगा, जिससे कि वे अकादमिक गतिविधियों एवं अभिनव प्रयोगों को अपने विद्यालयों में सम्यक् ढंग से लागू कर सकें। तत्संबंधी सुसंगत निर्देश राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा द्वारा जारी किये जायेंगे। 

➤ चैम्पियन पुरस्कार हेतु दिशा-निर्देश:-

"निपुण लक्ष्य" को चरणबद्ध रूप से प्राप्त किये जाने के उद्देश्य से प्रधानाध्यापकों द्वारा निम्नानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाये:-
  1. विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति का लक्ष्य हासिल किये जाने के संबंध में राज्य राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा निर्गत निर्देशों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।
  2. पाठ्यपुस्तकों में उल्लिखित मासिक विभाजन के अनुसार कक्षावार एवं विषयवार पाठ्यक्रम प्रत्येक माह अवश्य पूर्ण कराया जाये। कक्षावार, कालशिवार, विषयवार एवं दिवसवार समय-सारिणी के अनुपालन का उत्तरदायित्व प्रधानाध्यापक / इंचार्ज प्रधानाध्यापक का होगा।
  3. निपुण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों के सहयोग से सुविचारित कार्ययोजना बनाते हुये कार्य विभाजन सुनिश्चित किया जाये। प्रभावी कक्षा शिक्षण हेतु पाठ्य बिन्दु/ लर्निंग आउटकम पर आधारित शिक्षण योजना को शिक्षक डायरी में अंकित करते हुए शिक्षक डायरी का नियमित उपयोग किया जाये।
  4. बच्चों में कक्षानुरूप दक्षतायें प्राप्त कराने के लिये विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी संदर्शिका में उल्लिखित साप्ताहिक शिक्षण योजना, शिक्षण पद्धतियों विभिन्न गतिविधियों का कक्षा शिक्षण में प्रयोग सुनिश्चित किया जाये। 
  5. उपलब्ध करायी गयी प्रिंटरिच सामग्री यथा-पोस्टर्स वार्तालाप चार्ट्स, बिग बुक्स, पिक्चर स्टोरी कार्ड, टी0एल0एम0 एवं गणित किट आदि का उपयोग कराते हुये गतिविधि आधारित एवं प्रोजेक्ट बेस्ड शिक्षण के माध्यम से रोचक कक्षा- शिक्षण कराया जाये।
  6. राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा परिषदीय विद्यालयों में गतिविधियों के माध्यम से शिक्षकों व विद्यार्थियों के मध्य आत्मीय संबंध विकसित करने के संबंध में अपेक्षा की गयी है। तद्नुसार साप्ताहिक गतिविधियां सुनिश्चित करायी जायें।
  7. राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के अनुपालन में बच्चों के बीच ज्ञान, विचारों और अनुभव को साझा किये जाने के दृष्टिगत "पीयर लर्निंग (Peer Learning) के लिये सकारात्मक वातावरण का सृजन किया जाये। इस हेतु राज्य परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा द्वारा प्रेषित दिशा निर्देश के माध्यम से विद्यालयों में पीयर लर्निंग को बढ़ावा दिया जाये।
  8. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान शिक्षकों द्वारा बच्चों की समझ एवं प्रगति का आकलन करते हुये प्राप्त परिणामों के आधार पर कक्षावार तालिका अद्यतन की जाये तथा यथावश्यकतानुसार पुनरावृति (revision )/ रिमीडियल कक्षाओं का संचालन किया जाये।
  9. शिक्षक प्रशिक्षण के अनुसार शिक्षण पद्धतियों को कक्षा-कक्ष में लागू करने, शिक्षकों को ऑनसाइट शैक्षिक सपोर्ट, हैण्डहोल्डिंग एवं शैक्षिक गुणवत्ता सुधार हेतु मेण्टर्स द्वारा समर्पित प्रयास किये जायें प्रेरणा गुणवत्ता ऐप के माध्यम से एकेडमिक रिसोर्स पर्सन द्वारा प्रतिमाह निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार यूनीक विद्यालयों का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण सुनिश्चित किया जाये।
  10. बच्चों में पढ़ने के प्रति रूचि विकसित करने के उद्देश्य से एन0सी0ई0आर0टी0 एवं एन०बी०टी० के माध्यम से विद्यालयों में उपलब्ध करायी गयी लाइब्रेरी बुक्स के प्रयोग एवं पुस्तकालय का सक्रिय संचालन सुनिश्चित कराया जाये।
  11. शिक्षकों को प्रभावी फीडबैक प्रदान करने, विभिन्न मॉड्यूल्स के क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान करने तथा बेस्ट एवं इनोवेटिव प्रैक्टिसेज के आदान-प्रदान हेतु शिक्षक संकुल की एजेण्डा आधारित मासिक बैठकें आयोजित करायी जायें। 
  12. लर्निंग ऐट होम को बढ़ावा देने, पठन-पाठन की निरन्तरता बनाये रखने के लिये समय-समय पर अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करते हुये विभिन्न प्लेटफार्म यथा-दीक्षा, रीड एलांग ऐप, खान एकेडमी, स्विफ्टचैट, एम्बाइब उपलब्ध डिजिटल शैक्षणिक कन्टेण्ट के प्रयोग हेतु जागरूक किया जाये ।
  13. जनपद स्तरीय टास्क फोर्स की मासिक बैठकों, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी- खण्ड शिक्षा अधिकारी की साप्ताहिक बैठकों एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी-प्रधानाध्यापकों की मासिक बैठकों में प्रेरणा पोर्टल से प्राप्त डेटा / मासिक के0पी0आई0 (Key Performance Indicators) के आधार पर डेटा आधारित समीक्षा की जाये तथा बच्चों के अधिगम स्तर में उत्तरोत्तर सुधार हेतु मासिक लक्ष्य निर्धारित किये जायें, जिससे कि निपुण लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से प्राप्त किया जा सके।
  14. पी०टी०एम० एवं एस०एम०सी० की बैठक समय-समय पर शिक्षा चौपाल का आयोजन कर समुदाय एवं ग्राम पंचायत का अपेक्षित सहयोग प्राप्त करते हुये उनकी सराहना एवम् आभार प्रकट किया जाये।

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