एडेड माध्यमिक शिक्षकों की भी नौकरी सुरक्षित नहीं रही, क्या है असल समस्या? जानिए इस पोस्ट में।
क्या है असल समस्या ?
एडेड इंटर कॉलेज इंटरमीडिएट ऐक्ट 1921 के नियम-कानूनों से संचालित होते हैं। उसके बाद समय-समय पर उनमें संशोधन हुआ और नए प्रावधान लागू होते हैं। एडेड कॉलेजों में नियुक्ति अधिकारी प्रबंधक होते हैं। इंटर मीडिएट ऐक्ट में उनको ही कार्रवाई का अधिकार भी था, लेकिन इसके लिए DIOS से अनुमोदन की शर्त भी थी । तब भी शिक्षकों पर बहुत कार्रवाई होती थी। प्रबंधक DIOS से आसानी से अनुमोदन करवा लेते थे। इसके बाद 1982 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड बना । नियुक्तियां वहां से होने लगीं। बोर्ड की नियमावली में धारा 21 के तहत सेवा सुरक्षा भी प्रदान की गई। कहा गया कि बोर्ड के पूर्व अनुमोदन बिना की गई कोई भी कार्रवाई विधि शून्य होगी। अब शिक्षा से संबंधित सभी विभागों में नियुक्ति के लिए आयोग बन गया है। उसमें सेवा सुरक्षा के संबंध में कोई जिक्र नहीं है। इसी का फायदा उठाकर प्रबंधकों ने कार्रवाई शुरू कर दी हैं।
समझिए खबरों के अंदर की बात
इंटरमीडिएट ऐक्ट में सेवा सुरक्षा की सुविधा पहले से है। वह अब भी लागू है। DIOS की अनुमति से ही कोई कार्रवाई हो सकती है। उसकी अपील की भी व्यवस्था है। हां, शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से अतिरिक्त सेवा सुरक्षा थी, वह अब नहीं है, क्योंकि बोर्ड ही नहीं रहा। - डॉ. महेंद्र देव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक
- शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली में सेवा सुरक्षा का नहीं किया गया जिक्र
- प्रबंधकों ने शुरू की शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई, संगठन लगा रहे मनमानी का आरोप