लखनऊ। परिषदीय शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों के सेवा मामलों को पारदर्शी ढंग से निस्तारित करने के उद्देश्य से मानव संपदा पोर्टल पर बनाए गए चयन वेतनमान मॉड्यूल के संचालन में गंभीर लापरवाही सामने आई है। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने इस स्थिति पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए 25 जिलों को चेतावनी जारी की है।
पिछले वर्ष शिक्षकों के सेवा संबंधी मामलों के त्वरित और पारदर्शी निस्तारण के लिए मानव संपदा पोर्टल पर छह मॉड्यूल शुरू किए गए थे, जिनमें चयन वेतनमान मॉड्यूल भी शामिल था। लेकिन हालिया समीक्षा में पाया गया कि इस मॉड्यूल पर कार्य की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
महानिदेशक द्वारा चिन्हित खराब प्रदर्शन वाले 25 जिलों में मेरठ, बस्ती, कानपुर नगर, एटा, इटावा, संत रविदास नगर, सोनभद्र, गाजीपुर, मऊ, रामपुर, बदायूं, शाहजहांपुर, आजमगढ़, अयोध्या, चंदौली, हापुड़, कौशांबी, बलिया, गोरखपुर, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, अमेठी, गाजियाबाद, शामली और वाराणसी शामिल हैं।
मोनिका रानी ने स्पष्ट कहा कि यह स्थिति खंड शिक्षा अधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता को दर्शाती है, जो किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि लंबित सभी प्रकरणों का निस्तारण एक सप्ताह के भीतर किया जाए, अन्यथा संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शासन ने चयन वेतनमान के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की है, लेकिन जिलों में बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण शिक्षकों को अनावश्यक दौड़भाग और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
उन्होंने मांग की कि शासन स्तर से निगरानी बढ़ाई जाए ताकि शिक्षकों को उनके वित्तीय अधिकार समय पर मिल सकें और पारदर्शिता की भावना के अनुरूप मानव संपदा पोर्टल का सही संचालन सुनिश्चित किया जा सके।


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