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फर्जी विश्वविद्यालयों पर सख्त हुआ शिक्षा मंत्रालय: राज्यों के मुख्य सचिवों से हस्तक्षेप की मांग

Sir Ji Ki Pathshala

नई दिल्ली। देशभर में फर्जी विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई न होने और इनके लगातार सक्रिय रहने पर शिक्षा मंत्रालय ने गंभीर आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए अब राज्यों के मुख्य सचिवों को हस्तक्षेप कर कार्रवाई करने के निर्देश देने की तैयारी की है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन फर्जी संस्थानों को जल्द बंद कराकर राज्य सरकारों से विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी।


शिक्षा मंत्रालय की यह सख्ती तब सामने आई है जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा हर साल फर्जी विश्वविद्यालयों की पहचान तो कर ली जाती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल सूची जारी करने की औपचारिकता पूरी की जाती है। परिणामस्वरूप, ये संस्थान खुलेआम संचालित होते रहते हैं और हर साल सैकड़ों छात्रों को ठगकर उनका भविष्य दांव पर लगा देते हैं।



वर्तमान में देशभर में 22 फर्जी विश्वविद्यालय सक्रिय हैं। इनमें से 10 विश्वविद्यालय अकेले दिल्ली में मौजूद हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में चार, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल में दो-दो, जबकि महाराष्ट्र और पुडुचेरी में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय पाए गए हैं।


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में स्थित कुछ फर्जी विश्वविद्यालय यूजीसी कार्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर हैं, फिर भी वे बिना रोक-टोक संचालित हो रहे हैं।


यूजीसी के अधिकारियों का कहना है कि इन विश्वविद्यालयों की पहचान के बाद राज्य सरकारों को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा जाता है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि राज्य प्रशासन अब तक इन पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर पाया है?


शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट किया है कि अब केवल सूची जारी करना पर्याप्त नहीं होगा। मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों को इन फर्जी विश्वविद्यालयों को बंद करने और कार्रवाई की रिपोर्ट केंद्र को भेजने के निर्देश दिए जाएंगे।


शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मंत्रालय की यह पहल छात्रों को धोखाधड़ी से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसका असर तभी दिखेगा जब राज्य सरकारें भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए त्वरित कार्रवाई करेंगी, ताकि भविष्य में कोई भी छात्र इन भ्रमित करने वाले संस्थानों का शिकार न बने।

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