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इंसानी दिमाग जैसी सीखने वाली चिप विकसित: बिना महंगी ट्रेनिंग के चलेगी एआई

Sir Ji Ki Pathshala

टेक्सास, एजेंसी। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट डलास के इंजीनियरों ने ऐसी उन्नत चिप विकसित की है, जो मानव मस्तिष्क की तरह स्वयं सीखने की क्षमता रखती है। यह चिप महंगी और लंबे समय वाली एआई ट्रेनिंग की आवश्यकता के बिना पैटर्न पहचानने में सक्षम है। इस तकनीक को न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग कहा जाता है, जिसका उद्देश्य कंप्यूटर को दिमाग की तरह सोचने व सीखने योग्य बनाना है।


Artificial Intelligence


वर्तमान में एआई मॉडल को ट्रेन करने में अत्यधिक बिजली और संसाधनों की जरूरत पड़ती है। शोधकर्ताओं के अनुसार किसी बड़े एआई मॉडल को ट्रेन करने में लगभग 300 घरों की वार्षिक बिजली खपत के बराबर ऊर्जा लग जाती है। साथ ही, एआई सिस्टम अधिकतर डेटा सेंटर पर निर्भर रहते हैं। लेकिन नई विकसित चिप में मेमोरी और प्रोसेसिंग एक ही स्थान पर होती है, जिससे यह स्मार्टफोन जैसे छोटे उपकरणों में भी एआई सक्षम कर सकती है।

📱 फोन, ड्रोन और रोबोट में होगा उपयोग

यह प्रोटोटाइप एवरस्पिन टेक्नोलॉजी और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स के सहयोग से बनाया गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में इसे स्केल किया जाकर स्मार्टफोन, ड्रोन, रोबोट और अन्य स्मार्ट डिवाइस में लगाया जा सकेगा।

प्रोजेक्ट से जुड़े प्रोफेसर फ्रीडमैन ने कहा, “हमारा शोध दिमाग से प्रेरित कंप्यूटर बनाने की दिशा में एक नया रास्ता खोलता है।”

✅ इस चिप के प्रमुख फायदे

  • एआई की बिजली खपत में भारी कमी आएगी, डेटा सेंटर पर निर्भरता घटेगी
  • भविष्य में फोन बिना इंटरनेट के नई चीजें सीख सकेंगे
  • हाथ से लिखे नंबर पहचानने के टेस्ट में 90% सफलता
  • इंसानी दिमाग की तरह कम ऊर्जा में अधिक काम — मानव मस्तिष्क सिर्फ 20 वॉट बिजली से जटिल कार्य कर पाता है।

🧠 कैसे काम करती है यह दिमाग जैसी चिप?

  • इस चिप में मैग्नेटिक टनल जंक्शन (MTJ) नामक छोटे चुंबकीय स्विच लगे हैं। इनमें:
  • चुंबकीय यूनिट्स एक्टिविटी के आधार पर मजबूत या कमजोर होती रहती हैं।
  • यह प्रक्रिया उसी तरह होती है जैसे मानव दिमाग में न्यूरॉन्स नए कनेक्शन बनाते और पुराने तोड़ते हैं।
  • जब चुंबक एक ही दिशा में होते हैं, तो बिजली आसानी से बहती है, जिससे सिग्नल ट्रांसमिशन बदलता रहता है
  • इन स्विचों का नेटवर्क मिलकर दिमाग जैसी सीखने की क्षमता प्रदान करता है।

यह खोज एआई तकनीक में बड़ा बदलाव ला सकती है। यदि यह चिप व्यावहारिक उपयोग के स्तर तक पहुंच जाती है, तो भविष्य में स्मार्ट डिवाइस इंटरनेट या डेटा सेंटर के बिना खुद सीखने और निर्णय लेने में सक्षम होंगे — ठीक इंसानी दिमाग की तरह।

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