नए नियमों के साथ एकीकृत पेंशन स्कीम (UPS) चुनने का एक और अवसर
नए नियमों के साथ एकीकृत पेंशन स्कीम (UPS) चुनने का एक और अवसर
इस वर्ष 1 अप्रैल से लागू हुई केंद्रीय सरकार की नई एकीकृत पेशन योजना (यूपीएस) में बड़ा बदलाव किया गया है। अब यूपीएस में शामिल सभी केंद्रीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति और मृत्यु पर ग्रेच्युटी का लाभ भी मिलेगा। पहले इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी, जिसके चलते इसमें आवेदन बहुत कम आए थे। इसी के साथ अब सरकार ने कर्मचारियों के लिए इस योजना को अपनाने की अंतिम तिथि को अब 30 सितंबर 2025 तक कर दिया है। पहले अंतिम तिथि 30 जून थी। आइए जानते हैं ग्रेच्युटी के नियम में क्या बदलाव हुआ है और कैसे आवेदन किया जा सकता है?
व्यक्तिगत कोष में निवेश विकल्प
1. यूपीएस सदस्य के पास किसी भी पंजीकृत पेंशन निधि और निवेश पैटर्न को चुनने का विकल्प मिलेगा। इसमें पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित डिफाल्ट पैटर्न भी शामिल होगा।
2. यदि कोई सदस्य किसी का चुनाव नहीं करता है तो उस पर डिफाल्ट पैटर्न लागू हो जाएगा।
3. पंजीकृत पेंशन निधि चुनने पर उसे निवेश के कई विकल्प मिलेंगे।
● पूरे कोष को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया जा सकता है। या
● इनमें से किसी एक जीवन-चक्र आधारित योजना का विकल्प चुनना होगा।
● कंजर्वेटिव फंड : इसमें इक्विटी में अधिकतम निवेश सीमा 25% तक होगी
25 लाख तक ग्रैच्युटी मिलेगी
सरकार ने यूपीएस में सेवानिवृत्ति एवं मृत्यु पर ग्रैच्युटी का लाभ जोड़कर इसे अपनाने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। नया आदेश किसी कर्मचारी को यह चुनने का विकल्प देता है कि यदि सेवाकाल में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसे फिर से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के दायरे में ले लिया जाए। यही नहीं, सेवा के दौरान यदि कर्मचारी को अक्षमता या विकलांगता के कारण सरकारी सेवा से हटाया या बर्खास्त किया जाता है तो इस इस स्थिति में भी ओपीएस के तहत लाभ मिलने वाले लाभ लागू होंगे। यह आदेश एनपीएस और यूपीएस पेंशनभोगियों के बीच समानता लाता है और वे 25 लाख रुपये की ग्रैच्युटी के लिए भी पात्र होंगे। कार्मिक मंत्रालय के पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है।
पहले यहां फंसा हुआ था पेंच
अभी तक यूपीएस का विकल्प चयन करने के बाद अगर किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से पहले मृत्यु या विकलांगता हो जाती है तो उस स्थिति में कुछ भी स्पष्ट नहीं था। कर्मचारी असमंजस में थे कि उन्हें किस प्रकार की पेंशन या फैमिली पेंशन मिलेगी। कर्मचारी संगठनों ने इस पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। अब सरकार ने यूपीएस में सेवाकाल के दौरान मृत्यु या विकलांगता होने के मामले में एनपीएस की तरह ही पुरानी पेंशन का विकल्प जारी कर दिया है। साथ ही ग्रेच्युटी का प्रावधान कर दिया है।
एनपीएस में था यह प्रावधान
अब अधिक कर्मचारी यूपीएस अपनाएंगे
यूपीएस से कौन जुड़ सकते हैं?
कोई एक पेंशन योजना ही चुन सकेंगे
सरकार ने वर्तमान और नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों से से किसी एक को चुनने के विकल्प खुले रखे हैं। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि कर्मचारियों को यह विकल्प मिलेगा कि वे एनपीएस के तहत यूपीएस का विकल्प चुनें। या बिना यूपीएस विकल्प के एनपीएस को जारी रखें। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
निवेश पैटर्न चुनने का विकल्प मिलेगा
यूपीएस का प्रबंधन पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाएगा। यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर निवेश पैटर्न चुनने का विकल्प भी मिलेगा। यानी वे अपने व्यक्तिगत जमा कोष को पीएफआरडी द्वारा निर्धारित किसी निवेश योजना में लगा सकते हैं। इसमें होने वाला लाभ सीधे कर्मचारी को मिलेगा। यदि कर्मचारी कोई निवेश योजना नहीं चुनता है तो वह डिफाल्ट पैटर्न में खुद-ब-खुद चला जाएगा। इसका मतलब यह है कि इस स्थिति में पीएफडीआरडी द्वारा निर्धारित निवेश योजनाओं में सदस्य के जमा को निवेशित किया जाएगा।
आंशिक निकासी कर सकेंगे
इसके साथ ही यूपीएस में शामिल होने की तारीख से तीन साल पूरे होने के बाद सदस्य अपने व्यक्तिगत कोष से 25 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं। पूरी योजना के दौरान अधिकतम तीन बार निकासी की जा सकती है। यदि एनपीएस के तहत पहले निकासी की गई हो तो उसे भी इसमें गिना जाएगा। निकासी के लिए कुछ शर्तें लागू होंगी, जिन्हें सदस्यों को पूरा करना होगा।
बीमारी में क्या करें?
अगर आप बीमार हैं, तो आपके परिवार का कोई सदस्य आपके लिए निकासी का अनुरोध कर सकता है। यह नोडल कार्यालय में रिकॉर्ड और प्रमाणित होना चाहिए।
पैसे वापस जमा करने का विकल्प
निकाले गए पैसे को आप चाहें तो सेवानिवृत्ति या अधिवर्षिता से पहले वापस जमा कर सकते हैं। ये नियम आपके लिए आसानी से पैसे निकालने और जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं।
अंशदान और निवेश
1. व्यक्तिगत जमा कोष : इस फंड में कर्मचारी जो 10 फीसदी अंशदान करेगा, उसे जमा किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार की ओर से किए गए 10 फीसदी अंशदान को भी जमा किया जाएगा। इसका प्रबंधन पेंशन निधियां करेंगी।
2. पूल जमा कोष : इस फंड में सरकार अपनी ओर से 8.5 फीसदी का अतिरिक्त अंशदान देगी। इसका प्रबंधन पेंशन निधियों द्वारा किया जाएगा, जो केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित निवेश पैटर्न और उससे संबंधित पहलुओं के अनुसार निधियों का निवेश करेगी।
अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन दी जाएगी।