New Income Tax Bill 2025 : अब 'Assessment Year’ की जगह ‘Tax Year’ शब्द का होगा इस्तेमाल, इसकी अवधि 12 माह यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगी।

New Income Tax Bill 2025 : अब 'Assessment Year’ की जगह ‘Tax Year’ शब्द का होगा इस्तेमाल, इसकी अवधि 12 माह यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगी।

Highlight : New Income Tax Bill 2025 (Draft)

  • नए इनकम टैक्‍स बिल का Draft आया सामने
  • 622 पन्‍नों का है नया इनकम टैक्‍स बिल
  • बहुत से क्लैरिफिकेशन भी हटा दिए गए हैं।

नई दिल्‍ली । बजट 2025 में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने संसद में नया आयकर विधेयक पेश करने की बात कही थी। इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। अब इसे किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है। नए इनकम टैक्‍स बिल का ड्रॉफ्ट भी अब सामने आया है। 622 पन्नों के इस ड्रॉफ्ट की भाषा मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 से आसान है। मौजूदा इनकम टैक्‍स एक्‍ट में कुल 880 पन्ने हैं। हालांकि, नए बिल के ड्रॉफ्ट में चैप्टर संख्या जस की तस 23 रखी गई है। ड्रॉफ्ट में वर्तमान में प्रचलित एसेसमेंट ईयर की जगह केवल ‘टैक्‍स ईयर’ का प्रावधान किया गया है. अब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को टैक्स ईयर (Tax Year) कहा जाएगा, जबकि एसेसमेंट ईयर शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा। नए बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर टैक्स नियमों को कड़ा किया गया है। यह अधिनियम इनकम टैक्स एक्ट, 2025 के रूप में जाना जाएगा। इसके एक अप्रैल 2026 से प्रभावी होने की उम्‍मीद है।

ड्राफ्ट में स्टैंडर्ड डिडक्शन से लेकर कैपिटल गेन टैक्स के बारे में स्‍पष्‍टता दी गई है। ड्राफ्ट में शेयर बाजार के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा। इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। न्यू इनकम टेक्स बिल में एक बड़ा बदलाव केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी (CBDT) से जुड़ा हुआ है। बिल ड्राफ्ट के मुताबिक, पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू कर सकेगा।

नए इनकम टैक्स बिल (ड्राफ्ट) की खास बातें

* *Assessment Year की जगह "टैक्स ईयर"*

इस ड्राफ्ट में Assessment Year शब्द को खत्म कर दिया गया है.इसका मतलब पूरे वित्तीय वर्ष (April to March) को "टैक्स ईयर" के रूप में जाना जाएंगा. Assessment Year का इस्तेमाल अब नहीं होगा।

*न्यू टैक्स रिजीम*

2025 बजट के मुताबिक, न्यू टैक्स रिजीम में कुछ बदलाव किए गए थे, जिनके तहत 12 लाख रुपये तक की आय को अब टैक्स से बाहर रखा गया है।

* *स्टैंडर्ड डिडक्शन*

टैक्स स्लैब के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ा दी गई है. पुराने टैक्स रिजीम में यह 50,000 रुपये थी, अब न्यू टैक्स रिजीम में यह 75,000 रुपये कर दी गई है. इस ड्राफ्ट में दिख रहा है कि पुराने टैक्स रिजीम में जो छूटें और लाभ थे, वे वैसे ही रहेंगे।

* *कैपिटल गेन टैक्स दर*

शेयर बाजार में निवेश करने वाले के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेक्शन 101 (b) के तहत यदि निवेशक 12 महीने के अंदर परिसंपत्तियों को बेचता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20% टैक्स दर है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और अन्य कैपिटल गेन टैक्स में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है।

* *पेंशन और निवेश पर लाभ*

एनपीएस (NPS) और EPF पर टैक्स छूट को बढ़ाया गया है. इसके साथ ही रिटायरमेंट फंड और म्यूचुअल फंड में निवेश पर कर लाभ. वहीं बीमा योजनाओं पर अधिक कर लाभ होगा.

* *टैक्स चोरी पर कड़े प्रावधान और जुर्माना*

गलत जानकारी देकर टैक्स बचाने वालों के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान जोड़े गए हैं.

* *गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना*

जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी.आय छिपाने पर अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने के अधिकार है।

* *इन सब को मिलेगी छूट*

इसमें राजनीतिक दलों और इलेक्टोरल ट्रस्ट की आय को टैक्स में छूट दी गई है. न्यू टैक्स में कृषि आय को कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त रखा गया है. धार्मिक ट्रस्ट, संस्थाएं और दान में दी गई राशि पर कर छूट मिलेगी।

* *डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्रिप्टो पर कड़े नियम*

नए इनकम टैक्स बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) पर भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. अब क्रिप्टो एसेट्स को अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत गिना जाएगा।

* *टैक्सपेयर्स चार्टर होगा शामिल*

बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर को भी शामिल किया गया है, जो टैक्स भरने वालों के अधिकारों की रक्षा करेगा और टैक्स प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाएगा. यह चार्टर, करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों की जिम्मेदारियों और अधिकारों को स्पष्ट करेगा, जिससे टैक्स से जुड़े मामलों को हल करना आसान होगा।

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