शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग में एक बड़ा और व्यावहारिक परिवर्तन करते हुए स्कूलों में मेंटेन की जा रही टीचर डायरी को बंद कर दिया है। शिक्षा सचिव ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। अब शिक्षकों को कागजी औपचारिकताओं की बजाय विद्यार्थियों के लर्निंग आउटकम पर अधिक ध्यान देना होगा।
सरकार का मानना है कि टीचर डायरी भरने में शिक्षकों का काफी समय खर्च होता था, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। कई बार यह प्रक्रिया केवल औपचारिकता बनकर रह गई थी। इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है।
लर्निंग आउटकम पर रहेगा फोकस
अब शिक्षक अपने शिक्षण कार्य का मूल्यांकन छात्रों के सीखने के स्तर और परिणामों के आधार पर करेंगे। शिक्षा नीति 2020 के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार और छात्र-केंद्रित शिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
सरकार के समक्ष उठाई गई मांग हुई पूरी
राजकीय अध्यापक संघ लंबे समय से टीचर डायरी समाप्त करने की मांग कर रहा था। संघ का कहना था कि पाठ योजना, आकलन और अन्य शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ डायरी लिखना अतिरिक्त बोझ बन गया था। सरकार और शिक्षा विभाग के समक्ष यह मुद्दा कई बार उठाया गया था, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।
कम हुआ प्रशासनिक बोझ
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस फैसले से शिक्षकों पर गैर-जरूरी प्रशासनिक बोझ कम होगा और वे अपना अधिक समय विद्यार्थियों की पढ़ाई और मार्गदर्शन में लगा सकेंगे। यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को सरल, प्रभावी और परिणाम-उन्मुख बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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