ISRO का 101वां मिशन सीधे मोबाइल तक सिग्नल पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम !
भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक ऐसे मिशन की तैयारी कर रहा है, जो आने वाले समय में मोबाइल नेटवर्क की परिभाषा ही बदल सकता है। साल के आखिरी मिशन के तहत ISRO अपने ताकतवर रॉकेट LVM3-M6 से अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के अत्याधुनिक संचार उपग्रह BlueBird Block-2 को अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है।
यह मिशन सिर्फ एक सैटेलाइट लॉन्च नहीं है, बल्कि उस तकनीक की शुरुआत मानी जा रही है, जिसमें मोबाइल फोन को सीधे अंतरिक्ष से नेटवर्क मिल सकेगा।
ISRO का यह मिशन क्यों खास माना जा रहा है?
LVM3-M6 मिशन पूरी तरह वाणिज्यिक है और इसमें ISRO का हेवी-लिफ्ट रॉकेट LVM3 (बाहुबली) इस्तेमाल किया जाएगा।
यह रॉकेट पहले भी चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और OneWeb जैसे बड़े मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है।
BlueBird Block-2 करीब 6500 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट है, जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा। सफल लॉन्च के बाद यह अब तक का सबसे भारी वाणिज्यिक संचार सैटेलाइट बन सकता है।
बिना मोबाइल टावर के कैसे मिलेगा नेटवर्क?
इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सीधे 4G और 5G स्मार्टफोन को सिग्नल देने में सक्षम है।
यानी:
- अलग टावर की जरूरत नहीं
- किसी खास डिवाइस या एंटीना की आवश्यकता नहीं
- सामान्य स्मार्टफोन से ही कनेक्टिविटी
अगर यह तकनीक सफल होती है, तो मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह नया रूप ले सकता है।
दूर-दराज़ इलाकों के लिए वरदान
यह तकनीक उन इलाकों में नेटवर्क पहुंचा सकती है जहां आज भी सिग्नल मिलना मुश्किल है, जैसे:
- पहाड़ और घने जंगल
- समुद्र और रेगिस्तान
- आपदा प्रभावित क्षेत्र
भूकंप, बाढ़ या तूफान जैसी परिस्थितियों में, जब ज़मीनी नेटवर्क फेल हो जाते हैं, तब सैटेलाइट आधारित नेटवर्क बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
स्पीड और क्षमता भी होगी दमदार
BlueBird Block-2 को हजारों छोटे सिग्नल सेल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
यह सैटेलाइट:
- तेज इंटरनेट
- स्पष्ट वॉयस कॉल
- वीडियो स्ट्रीमिंग
जैसी सेवाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराने में सक्षम होगा।
Starlink जैसी कंपनियों के लिए नई चुनौती
अब तक सैटेलाइट इंटरनेट के लिए अलग डिश और हार्डवेयर की जरूरत होती थी।
लेकिन BlueBird Block-2 की तकनीक सीधे मोबाइल फोन को टारगेट करती है, जिससे यह Starlink जैसी सेवाओं के लिए कड़ी चुनौती बन सकती है।
लॉन्च के बाद आगे क्या होगा?
सैटेलाइट के कक्षा में पहुंचने के बाद:
- पहले इसका तकनीकी परीक्षण होगा
- फिर सीमित क्षेत्रों में सेवाएं शुरू की जाएंगी
- सफल परीक्षण के बाद वैश्विक विस्तार की योजना बनेगी
ISRO का यह मिशन सिर्फ एक सैटेलाइट लॉन्च नहीं, बल्कि भविष्य की कनेक्टिविटी की झलक है।
अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और डिजिटल कनेक्टिविटी का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।


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