गोंडा जिले में 15 करोड़ रुपए के फर्नीचर सप्लाई टेंडर में 15% कमीशन मांगने के आरोप में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) अतुल कुमार तिवारी सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है। एंटी करप्शन कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए पुलिस को त्वरित कानूनी कार्रवाई और विवेचना के निर्देश दिए हैं।
प्रकरण में बीएसए के अलावा जिला समन्वयक (निर्माण) विद्याभूषण मिश्रा और जिला समन्वयक (जेम पोर्टल) प्रेम शंकर मिश्रा आरोपी बनाए गए हैं। हालांकि बीएसए ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
आवेदक का आरोप: 15% कमीशन और 50 लाख एडवांस की मांग
मोतीगंज थाना क्षेत्र के किनकी गांव निवासी मनोज कुमार पांडे ने विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण) विपिन कुमार तृतीय की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। आवेदक के अनुसार, उसने 7 अक्टूबर 2024 को जेम पोर्टल के माध्यम से 15 करोड़ रुपए का फर्नीचर सप्लाई टेंडर लिया था। आरोप है कि टेंडर स्वीकृति के बदले तीनों अधिकारियों ने 15% कमीशन की मांग की और 50 लाख रुपए एडवांस देने को कहा।

मनोज का दावा है कि उसने 4 जनवरी 2025 को बीएसए को 22 लाख, प्रेम शंकर मिश्रा को 4 लाख और शेष रकम विद्याभूषण मिश्रा को दी, फिर भी टेंडर उसे नहीं दिया गया। जब उसने बाकी पैसे देने से इनकार किया तो 2 फरवरी 2025 को उसकी फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
"रिश्वत नहीं दी तो ऑफिस से निकाल दिया"
आवेदक ने बताया कि बीएसए ने उस पर बाकी 24 लाख रुपये जमा करने का दबाव बनाया। पैसे देने से मना करने पर कथित रूप से धक्का देकर कार्यालय से निकाल दिया गया।
मनोज ने कहा कि पैसे वापस मांगने पर केवल प्रेम शंकर मिश्रा ने 1 लाख रुपये लौटाए, जबकि बीएसए और विद्याभूषण ने कोई रकम वापस नहीं की। उन्होंने दावा किया कि वॉट्सऐप कॉल और संदेशों में हुई बातचीत इसके प्रमाण हैं। बाद में 9 जून 2025 को विद्याभूषण मिश्रा की ओर से नगर कोतवाली में मनोज पर फर्जी दस्तावेजों से टेंडर लेने का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। जिला प्रशासन से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने न्यायालय का सहारा लिया।
कोर्ट का आदेश: भ्रष्टाचार का मामला बनता है, FIR दर्ज हो
विशेष न्यायाधीश ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए माना कि मामला भ्रष्टाचार के दायरे में आता है। अदालत ने नगर कोतवाली पुलिस को बीएसए अतुल कुमार तिवारी, विद्याभूषण मिश्रा और प्रेम शंकर मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया है।
BSA का पक्ष: “आरोप झूठे और निराधार”
बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने न तो किसी से कमीशन मांगा और न ही कोई पैसा लिया।
बीएसए ने कहा कि मनोज ने गलत दस्तावेजों के आधार पर टेंडर में भाग लिया था, इसलिए नियम के अनुसार उसकी फर्म को ब्लैकलिस्ट किया गया और मुकदमा दर्ज कराया गया। इसी कारण अब उनके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। जिले में यह मामला बड़े घोटाले के रूप में उभर रहा है। अब पुलिस कार्रवाई और जांच रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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