शिक्षक भर्ती से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है, जो हजारों शिक्षकों के लिए राहत की खबर है। अदालत ने कहा कि यदि कोई शिक्षक 31 मार्च 2019 की तय समय-सीमा से पहले टीईटी (TET) पास कर चुका है, तो उसे नियुक्ति के समय टीईटी न होने के आधार पर बर्खास्त नहीं किया जा सकता।

यह फैसला उत्तर प्रदेश के दो सहायक अध्यापकों के मामले में आया, जिन्हें 2012 में नियुक्त किया गया था लेकिन 2018 में सेवा से हटा दिया गया था।
मामला क्या था?
- राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य बनाया था।
 - कानपुर के एक जूनियर हाई स्कूल में जुलाई 2011 में सहायक अध्यापक भर्ती निकली।
 - राज्य में पहली टीईटी परीक्षा नवंबर 2011 में हुई।
 - दोनों शिक्षकों ने नियुक्ति के बाद टीईटी पास कर लिया—एक ने 2011 में और दूसरे ने 2014 में।
 - फिर भी 12 जुलाई 2018 को बीएसए ने नियुक्ति निरस्त कर दोनों को नौकरी से हटा दिया।
 - शिक्षकों ने इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच दोनों ने राहत नहीं दी।
 
📜 2017 में आया था अहम संशोधन
RTE अधिनियम में 9 अगस्त 2017 को संशोधन किया गया था, जिसके अनुसार, “31 मार्च 2015 तक पद पर मौजूद ऐसे शिक्षक जिनके पास न्यूनतम योग्यता नहीं है, वे 31 मार्च 2019 तक योग्यता प्राप्त कर सकते हैं।” यानी टीईटी पास करने के लिए वैधानिक समय दिया गया था। दोनों शिक्षक 31 मार्च 2015 से पहले पदस्थ थे और 2014 तक टीईटी पास कर चुके थे।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया शिक्षकों के पक्ष में फैसला?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ कहा कि शिक्षकों ने कानून द्वारा दी गई समय-सीमा के भीतर टीईटी योग्यता हासिल कर ली थी। केवल नियुक्ति के समय टीईटी न होने के आधार पर 6 साल बाद बर्खास्त करना सही नहीं। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को “त्रुटिपूर्ण” बताया और कहा: “जब अपीलकर्ता 2014 तक टीईटी पास कर चुके थे, तो 2018 में उन्हें अयोग्य कैसे माना जा सकता है?”
✅ सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश
- हाईकोर्ट के दोनों आदेश रद्द
 - बीएसए का बर्खास्तगी आदेश रद्द
 - दोनों शिक्षकों को तुरंत बहाल करने का निर्देश
 - बकाया वेतन नहीं मिलेगा
 - सेवा निरंतरता, वरिष्ठता व अन्य सभी लाभ मिलेंगे
 
🌟 क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह निर्णय उन शिक्षकों के लिए मिसाल है जिन्हें नियुक्ति के बाद टीईटी पास करने का मौका दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि वैधानिक रूप से दी गई समय सीमा में टीईटी पास करने वाले शिक्षकों की सेवा सुरक्षित रहेगी।
इससे ऐसे सैकड़ों मामलों पर असर पड़ सकता है जिनमें नियुक्ति के समय टीईटी न होने के आधार पर कार्रवाई की गई थी।

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