उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों की लापरवाही अब भारी पड़ सकती है। यू-डायस पोर्टल पर कक्षा 1 से 7 तक के लगभग 5 लाख छात्र अभी भी ड्रॉपबॉक्स में लंबित दिख रहे हैं। विद्यालयों द्वारा इन विद्यार्थियों के अगले सत्र में प्रवेश का डेटा इंपोर्ट नहीं किया गया है, जिसके कारण यह स्पष्ट नहीं है कि वे किस विद्यालय में पढ़ रहे हैं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं।

स्कूली शिक्षा महानिदेशालय ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए चेतावनी जारी की है कि यदि 24 घंटे में सभी विद्यार्थियों का डेटा अपडेट नहीं किया गया, तो संबंधित जिले के बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) व डीआईओएस (जिला विद्यालय निरीक्षक) का वेतन रोक दिया जाएगा।
🔍 डेटा अपडेट न होने पर नाराज़ शिक्षा विभाग
सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में बच्चे परिषदीय विद्यालय से पास होकर निजी या एडेड स्कूल में चले गए, लेकिन प्रधानाध्यापकों ने उनका ट्रैक नहीं रखा। नामांकन पुष्टि न होने पर छात्रों के नाम सीधे ड्रॉपबॉक्स में डाल दिए गए, जिससे उनका ट्रैक रिकॉर्ड टूट गया।
यह भी आशंका जताई गई है कि कई बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है। ऐसे में विभाग ने निर्देश दिया है कि गायब छात्रों की खोज कर उनका डेटा अनिवार्य रूप से पोर्टल पर अपलोड किया जाए।
📍 प्रेरणा पोर्टल पर सिर्फ 20% उपस्थिति दर्ज
वहीं दूसरी ओर प्रेरणा पोर्टल पर छात्रों की दैनिक उपस्थिति दर्ज करने में भी शिक्षकों की उदासीनता सामने आई है।
1,32,827 परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से केवल 27,446 स्कूल ही पोर्टल पर उपस्थिति भर रहे हैं। 1.29 करोड़ विद्यार्थियों में से केवल 26.63 लाख छात्रों की हाजिरी दर्ज हो रही है।
सबसे खराब प्रदर्शन वाले जिले (उपस्थिति %):
जिला उपस्थिति (%)
बदायूं 0.17%
महाराजगंज 0.39%
आज़मगढ़ 0.67%
सिद्धार्थनगर 1.55%
बस्ती 1.97%
श्रावस्ती 1.54%
बहराइच 1.78%
गोंडा 1.57%
विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि उपस्थिति प्रतिदिन ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाए और लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
📌 निष्कर्ष
परिषदीय स्कूलों में डिजिटल मॉनिटरिंग और विद्यार्थी ट्रैकिंग सिस्टम को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा विभाग अब सख्त मोड में है। आने वाले दिनों में डेटा अपडेट न करने वाले जिलों के अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

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