लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षक दिवस (5 सितंबर) को की गई कैशलेस चिकित्सा सुविधा की घोषणा को दो माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन शासनादेश अब तक जारी नहीं हो सका है। दीपावली से पहले सुविधा लागू करने का वादा किया गया था, पर त्योहार के 10 दिन बाद भी आदेश न आने से शिक्षकों में बेचैनी और नाराजगी बढ़ गई है।
राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी, शिक्षामित्र, अनुदेशक और रसोइयों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी, जिससे करीब 11 लाख से अधिक परिवारों के 60 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। ऐसे में हजारों शिक्षक और कर्मचारी जो वर्तमान में इलाज की आवश्यकता से गुजर रहे हैं, आर्थिक तंगी के कारण उपचार नहीं करा पा रहे हैं।
व्यय भार तय, विभाग जुटा रहे ब्यौरा
कैशलेस चिकित्सा सुविधा लागू करने को लेकर विभागीय स्तर पर कवायद जारी है। तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार इस सुविधा पर प्रति कार्मिक 2,480 रुपये वार्षिक व्यय भार आएगा। उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव प्रेम कुमार पांडेय ने निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र भेजकर कहा है कि इस दर से व्यय भार का आंकलन कर तुरंत रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए।
विभागों की ओर से बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों, शिक्षामित्रों और रसोइयों का डेटा एकत्र किया जा रहा है। स्ववित्त पोषित मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों से भी अंतिम आंकड़े मांगे गए हैं।
कितने कर्मचारी होंगे लाभान्वित?
- प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक – 3,38,590
 - उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक – 1,20,860
 - शिक्षामित्र – 1,42,450
 - अनुदेशक – 25,000
 - एडेड माध्यमिक कॉलेजों में शिक्षक – 65,000
 - अन्य श्रेणियों को मिलाकर कुल लगभग 9–10 लाख शिक्षक और उनके परिवार इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे।
 
शिक्षक संगठनों की मांग
शिक्षक संगठनों ने कैशलेस चिकित्सा बीमा कवरेज को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख वार्षिक किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि बढ़ते उपचार खर्च को देखते हुए शिक्षक सम्मानजनक और सुरक्षित चिकित्सा सुविधा की उम्मीद रखते हैं।
सरकार की ओर से लगातार तैयारी का दावा किया जा रहा है, पर आदेश जारी होने में हो रही देरी ने शिक्षकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासनादेश आखिर कब जारी होगा और शिक्षक कब से कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
कैशलेस चिकित्सा सुविधा का लाभ प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में शासन द्वारा हुई बैठक
चिकित्सा हेतु उच्च शिक्षा से भी मांगी गई जानकारी
कैशलेस चिकित्सा सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ हुआ मंथन, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग तैयार कर रहे
लखनऊ। प्रदेश के शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने की दिशा में सरकार ने तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं। सोमवार को बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक कर इस योजना के क्रियान्वयन और प्रक्रिया पर विस्तृत मंथन किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने की घोषणा की थी और इसे दीपावली से पहले लागू करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में संबंधित विभागों से योजना पर आने वाले व्ययभार का विवरण मांगा गया है। योजना को लागू करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग संयुक्त रूप से अंतिम रूप देंगे।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने प्रक्रिया की रूपरेखा पर चर्चा की। प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह सुविधा लागू होगी। योजना के समन्वय की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास है। इस बीच संस्कृत विद्यालय शिक्षक समिति ने मांग की है कि संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों को भी योजना में शामिल किया जाए।
लाभार्थियों का दायरा और बढ़ा
सरकार ने संकेत दिए हैं कि यह सुविधा केवल बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि मदरसा, अटल आवासीय विद्यालय और सर्वोदय विद्यालय के शिक्षकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसके लिए श्रम, समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से आंकड़े मांगे गए हैं।
इन शिक्षकों को मिलेगा लाभ
- समाज कल्याण विभाग के एडेड विद्यालयों के 1,264 शिक्षक
 - अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के विद्यालयों के 9,889 शिक्षक और 8,367 कर्मचारी
 - श्रम विभाग के विद्यालयों के 55 शिक्षक, 261 कर्मचारी और 61 रसोइये
 
सरकार का प्रयास है कि कैशलेस चिकित्सा योजना व्यापक और समावेशी हो, जिससे विभिन्न विभागों में कार्यरत लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिल सके। सभी विभागों से सूचनाएँ प्राप्त होते ही कैबिनेट प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।







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