केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन को लेकर जारी बहुप्रतीक्षित अधिसूचना पर देशभर के कर्मचारी संगठनों और पेंशनरों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। आयोग को दिए गए ‘संदर्भ की शर्तें’ (Terms of Reference–ToR) को लेकर यूनियनों ने आरोप लगाया है कि वेतन और पेंशन संशोधन से जुड़ी मूलभूत अपेक्षाओं को दरकिनार कर सरकार ने राजकोषीय अनुशासन को प्राथमिकता दे दी है।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव और कर्मचारी राष्ट्रीय परिषद (JCM) के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि जिस वेतन आयोग से कर्मचारियों के वेतन पुनर्निर्धारण तथा पेंशनरों की पेंशन में संशोधन की उम्मीद होती है, उसके कार्यक्षेत्र को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, वित्तीय विवेक और विकासात्मक व्यय जैसे पहलुओं तक सीमित कर दिया गया है। श्रीकुमार ने इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ज्ञापन सौंपकर ToR में तत्काल संशोधन की मांग की है।
पेंशनरों को दायरे से बाहर रखने पर नाराज़गी
श्रीकुमार ने आरोप लगाया कि 8वें वेतन आयोग के ToR में 69 लाख से अधिक पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनरों को शामिल नहीं किया गया है। इससे न केवल कर्मचारियों बल्कि पेंशनरों में भी गहरी चिंता पैदा हो गई है। उनके अनुसार, यह ToR कुछ हद तक वित्त आयोग जैसी सोच पर आधारित प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य कर्मचारी कल्याण के बजाय सरकारी खर्च में कटौती करना है।
उन्होंने कहा कि 7वें वेतन आयोग को कर्मचारियों की अपेक्षाओं और वेतन संरचना में सुधार पर विचार करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था, जबकि 8वें वेतन आयोग के ToR में कर्मचारी हित या वेतन से जुड़ी आकांक्षाओं का कोई उल्लेख तक नहीं है।
ओल्ड पेंशन स्कीम पर निराशा
पुरानी पेंशन योजना (OPS) को ToR में शामिल न किए जाने पर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। श्रीकुमार के अनुसार, यह “सरकारी कर्मचारियों की वृद्धावस्था सुरक्षा की खुली उपेक्षा” है। 26 लाख से अधिक NPS कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें दोबारा CCS (पेंशन) नियमों, 1972/2021 के तहत गैर-अंशदायी पेंशन का लाभ दिया जाए, लेकिन सरकार ने इसे शामिल करने से इंकार कर दिया।
“राजकोषीय अनुशासन के नाम पर अन्याय”
AIDEF और JCM ने वित्त मंत्री से यह भी मांग की है कि:
- पेंशनरों की पेंशन में संशोधन किया जाए
- बदली हुई पेंशन को 11 वर्षों बाद बहाल किया जाए
- संसद की स्थायी समिति की सिफारिश अनुसार हर 5 वर्ष में 5% बढ़ी हुई पेंशन लागू की जाए
श्रीकुमार ने कहा कि समय आ गया है कि केंद्र और राज्य दोनों के कर्मचारी तथा पेंशनभोगी एकजुट होकर राजकोषीय अनुशासन के नाम पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
क्या होना चाहिए ToR में?
यूनियनों ने सुझाव दिया है कि ToR में निम्न बिंदुओं को शामिल किया जाना चाहिए—
- ऐसी पारिश्रमिक संरचना तैयार हो जो योग्य प्रतिभाओं को आकर्षित करे, दक्षता व जवाबदेही बढ़ाए और प्रशासनिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करे
- कर्मचारियों की वास्तविक अपेक्षाओं और बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की चुनौतियों को ध्यान में रखा जाए
- स्किल अपग्रेडेशन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण आधारित मेरिट स्ट्रक्चर को शामिल किया जाए
- 01 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए OPS को बहाल किया जाए
कर्मचारी संगठनों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग का वर्तमान ToR कर्मचारी और पेंशनभोगी हितों को नज़रअंदाज़ करता है। उनका आरोप है कि यह आयोग अब वेतन और पेंशन में सुधार करने के बजाय सरकारी धन बचाने पर अधिक केंद्रित दिखाई देता है। यदि सरकार ने ToR में आवश्यक संशोधन नहीं किए, तो आने वाले समय में कर्मचारियों की व्यापक आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


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