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डीएलएड में स्नातक अर्हता बहाल: हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को सही ठहराया, नया सत्र शुरू होने का रास्ता साफ

Sir Ji Ki Pathshala

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक रखने संबंधी नौ सितंबर 2024 के शासनादेश को सही ठहराते हुए, इसे रद्द करने वाले एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार को शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में प्रवेश और सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता तय करने का अधिकार है। यह अर्हता राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा निर्धारित मानकों से कम नहीं हो सकती, परंतु उससे अधिक रखी जा सकती है।

मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि डीएलएड में प्रवेश के लिए स्नातक योग्यता रखना न तो मनमाना कदम है और न ही भेदभावपूर्ण। कोर्ट ने सरकार की विशेष अपील स्वीकार करते हुए, इंटरमीडिएट उत्तीर्ण उम्मीदवारों की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एम.सी. चतुर्वेदी और अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने पक्ष रखा। सरकार ने दलील दी थी कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और भविष्य के शिक्षकों का स्तर सुधारने के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक और 50 प्रतिशत अंक रखना आवश्यक है। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को सही मानते हुए कहा कि एनसीटीई द्वारा तय मानक केवल न्यूनतम हैं, राज्यों को उससे उच्च योग्यता निर्धारित करने से रोक नहीं लगाई गई है।

इस फैसले के बाद प्रदेश में 2025-26 सत्र के लिए डीएलएड प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय अब एनआईसी से परामर्श कर प्रवेश प्रक्रिया का प्रस्ताव सरकार को भेजेगा। सरकार की अनुमति मिलते ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। उत्तर प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) की कुल 10,600 सीटों के साथ-साथ 2,974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 सीटों सहित कुल 2,33,350 सीटों पर दाखिला होगा।


डीएलएड में स्नातक अर्हता बहाल


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