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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कानपुर के दो सहायक शिक्षक होंगे बहाल, टीईटी पास करने में देरी को नहीं माना अयोग्यता

Sir Ji Ki Pathshala

नई दिल्ली। कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने नियुक्ति के समय शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास न करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्त किए गए दोनों शिक्षकों की तत्काल बहाली के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जब शिक्षकों ने तय समय सीमा के भीतर टीईटी परीक्षा पास कर ली थी, तो उन्हें अयोग्य ठहराना कानूनन गलत है।


Supreme Court Decesion


मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकलपीठ और खंडपीठ दोनों के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि दोनों शिक्षक तत्काल प्रभाव से बहाल किए जाएं। हालांकि उन्हें बर्खास्तगी अवधि का वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन उनकी सेवा निरंतर मानी जाएगी और वरिष्ठता समेत सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्पष्ट संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संशोधित नियमों के अनुसार टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया था, जबकि याचिकाकर्ता शिक्षकों ने क्रमशः 2011 और 2014 में ही टीईटी परीक्षा पास कर ली थी। इस प्रकार, 12 जुलाई 2018 को जब उन्हें बर्खास्त किया गया था, तब तक वे दोनों पात्रता परीक्षा पास कर चुके थे। ऐसी स्थिति में बर्खास्तगी अनुचित थी।

पूरा मामला 

यह मामला कानपुर के भौती स्थित ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल से जुड़ा है। 2011 में स्कूल ने सहायक शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। याचिकाकर्ता उमाकांत और एक अन्य शिक्षक को 2012 में नियुक्त किया गया। उस समय पहली बार उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा नवंबर 2011 में हुई थी।पहले याचिकाकर्ता ने नवंबर 2011 में और दूसरे ने मई 2014 में परीक्षा पास कर ली थी। इस बीच, 2017 में आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन कर टीईटी पास करने की समय सीमा 31 मार्च 2019 तय की गई थी। बावजूद इसके, 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों को यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया गया कि नियुक्ति के समय उन्होंने टीईटी पास नहीं किया था। दोनों ने बर्खास्तगी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। अंततः सुप्रीम कोर्ट में अपील के बाद उन्हें न्याय मिला।

शिक्षकों के लिए राहत की उम्मीद

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला उनसे जुड़ी उन तमाम लंबित याचिकाओं को प्रभावित करेगा जिनमें शिक्षकों को केवल इस आधार पर नौकरी से हटाया गया था कि उन्होंने नियुक्ति के समय टीईटी पास नहीं किया था। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी शिक्षक ने विस्तारित अवधि में परीक्षा पास कर ली है, तो उसे बर्खास्त करना अनुचित माना जाएगा।

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