स्कूल चलो अभियान के तहत दिनांक 1 जुलाई 2025 से 15 जुलाई 2025 तक सम्पादित की जाने वाली गतिविधियां

शैक्षिक सत्र 2025-26 में ग्रीष्मावकाश के पश्चात् विद्यालय पुनः खुलने पर नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं का स्वागत एवं "स्कूल चलो अभियान" (द्वितीय चरण) के संचालन के सम्बन्ध में।

School Chalo Abhiyan 2025

ग्रीष्मावकाश के उपरान्त विद्यालयों का संचालन दिनांक 1 जुलाई 2025 से किया जाना हैं। विद्यालय बन्द रहने के कारण पुनः खुलने पर प्रथमतः परिसर गन्दा मिलेगा। 

अतः ग्रीष्मावकाश के उपरान्त विद्यालय परिसर की स्वच्छता एवं सजावट इस प्रकार सुनिश्चित की जाए-

  • परिसर की समुचित साफ-सफाई कराते हुए विद्यालय को सुन्दर एवं आकर्षक बनाया जाए। परिसर में खरपतवार, झाडियाँ, घास-फूल एवं जंगली पौधों की सफाई करायी जाए।
  • कक्षा-कक्ष, फर्श, ब्लैक-बोर्ड, फर्नीचर, खिड़की-दरवाजे, की धुलाई, दीवारें आदि की सफाई करायी जाए।
  •  पानी की टंकी, वाशरूम, किचन, पुस्तकालय, भण्डार-कक्ष, प्रयोगशाला, आदि की सफाई एवं विसंक्रमण कराया जाए।
  • कक्षाओं के फर्नीचर, उपकरण, स्टेशनरी, टी०एल०एम०, पुस्तकें आदि की भी साफ-सफाई करायी जाए।
  • विद्यालयों को रंगाई-पुताई साफ-सफाई, फूल, पत्तियों, गुब्बारे, झण्डियाँ तथा रंगोली बनाकर साज-सज्जा से विद्यालयों में एक उत्सव जैसा वातावरण सृजित किया जाए।

छात्रों का स्वागत तथा भावनात्मक जुड़ाव की शुरूआत-

  • प्रथम दिवस को समस्त छात्रों का रोली चंदन का तिलक लगाकर, पुष्प देकर, एवं माला पहनाकर स्वागत किया जाए।
  • उस दिन मध्याह्न भोजन में बच्चों के लिए मीठा रूचिकर व्यंजन यथा - हलवा, खीर आदि परोसा जाए ।
  • वातावरण में हर्षोल्लास और स्वागत का भाव बच्चों के मन में विद्यालय के प्रति लगाव उत्पन्न करेगा, जिसके फलस्वरूप विद्यालय में उनकी नियमित उपस्थिति तथा पठन-पाठन आदि गतिविधियों में सक्रियता एवं रूचि विकसित होगी ।

➢ नामांकन संवर्द्धन हेतु सम्प्रेषण:-

  • विद्यालय के समस्त अध्यापक / शिक्षा मित्र / अनुदेशक तथा सक्रिय एस०एम०सी० सदस्यों द्वारा क्षेत्र के समस्त घरों में सम्पर्क स्थापित कर, समस्त बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाएगा। ड्रापआउट अथवा आउट ऑफ स्कूल बच्चों की सूची बनाकर उनके माता/पिता/अभिभावक के साथ काउंसलिंग, अन्तः वैयक्तिक संचार (आई०पी०सी०) कर, बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे।
  • "स्कूल चलो अभियान" के द्वारा विद्यालयों में नामांकन में वृद्वि तथा नामांकित छात्र- छात्राओं की नियमित उपस्थिति बढ़ाने के लिए समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए ।
  • विद्यालयों में बच्चों की नियमित उपस्थिति का छात्र - छात्राओं के सीखने के स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इस सम्बन्ध में अभिभावकों से बातचीत की जाए एवं उन्हें बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने हेतु प्रेरित किया जाय ।

➢ जनसम्पर्क एवं जागरूकता-

  • जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी / खण्ड शिक्षा अधिकारी, विद्यालय अथवा अध्यापक द्वारा सोशल मीडिया पर स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत चलाए जा रहे कार्यक्रमों / गतिविधियों को नियमित रूप से अपडेट और सूचनायें पोस्ट की जायेंगी। साथ ही प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार पत्रों में निःशुल्क विज्ञप्ति प्रकाशित करायी जाएगी।
  • विद्यालय द्वारा क्षेत्र में बच्चों की रैली निकाल कर विभागीय योजनाओं/कार्यक्रमों तथा शत-प्रतिशत नामांकन एवं नियमित उपस्थिति के लिये जनमानस को जागरूक किया जाएगा। मुनादी, उद्घोषणा एवं प्रभावशाली व्यक्तियों से स्थानीय स्तर पर अपील जारी कर नामांकन एवं नियमित उपस्थिति हेतु माता/पिता/अभिभावक/समुदाय को जागरूक व प्रेरित किया जाऐगा।

➢ सामुदायिक सहभागिता-

  • विद्यालयों में पी०टी०एम० की बैठक का आयोजन कर अधिकतर अनुपस्थित तथा ड्रॉपआउट बच्चों को कम करने पर चर्चा की जाएगी तथा ऐसे बच्चों के माता / पिता/ अभिभावकों से घर पर सम्पर्क स्थापित कर उनकी काउंसलिग कर विद्यालयों में बच्चों की वापसी व नियमित उपस्थिति हेतु प्रयास किया जाएगा ।
  • स्वयं सहायता समूह / माता समूह / क्षेत्र में कार्य कर रही स्वयं सेवी संस्थाओं / प्रभावशाली व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित कर बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन तथा नामांकित बच्चों की नियमित उपस्थिति में वृद्धि तथा ड्रापआउट को रोकने हेतु विद्यालय पर बैठक आयोजित कर उनका सहयोग प्राप्त किया जाएगा ।
  • विद्यालय स्तर पर 'स्कूल चलो अभियान' के अन्तर्गत छात्र - छात्राओं को अधिक से अधिक नामांकन कराने के लिए स्थानीय समुदाय, विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों, माँ समूह के सदस्यों, क्षेत्रीय प्रभावशाली व्यक्तियों से सम्पर्क कर उनका सहयोग प्राप्त किया जाए। विद्यालय स्तर पर अभिभावकों की बैठक आयोजित की जाए तथा उन्हें सभी बच्चों के नामांकन और उन्हें स्कूल यूनिफार्म में नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया जाए ।
  • विद्यालय, न्याय पंचायत, विकास खण्ड तथा जनपद स्तर पर जिन कार्यक्रमों में समुदाय के सदस्यों, अभिभावकों, शिक्षकों की उपस्थिति हो उनमें कक्षावार व विषयवार शिक्षण सम्बन्धी परिणाम (Learning Outcomes) के बारे में विस्तृत चर्चा की जाए ।
  • विद्यालय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में अभिभावकों के समक्ष विद्यालय स्तर पर शैक्षिक तथा पाठ्य सहगामी गतिविधियों के आयोजन के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण किया जाए ।

➢ बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान-

  • समान्यतः घरेलू कार्यों में संलिप्तता के कारण बालिकाओं में ड्रापआउट की सम्भावना अधिक रहती है। अतः बालिकाओं के शत प्रतिशत नामांकन एवम् उपस्थिति पर विशेष फोकस किया जाए तथा मीना मंच के बच्चों द्वारा विद्यालय स्तर पर नाटक का मंचन एवं आधा- फुल कॉमिक्स पर आधारित कहानियों का वाचन व चर्चा करायी जाए। 

➢ विशेष समुदायों पर फोकस -

  • आउट ऑफ स्कूल बच्चों के चिन्हांकन / नामांकन में मलिन बस्तियों, झुग्गी-झोपडियों, रेलवे स्टेशन के पास, ओवरब्रिज के नीचे अस्थायी आवास में रहने वाले परिवारों, परम्परागत कुटीर एवं लघु / सूक्ष्म उद्यमों में तथा ईंट-भट्ठों पर कार्यरत परिवारों तथा जनजाति एवं घुमन्तु समुदायों पर विशेष फोकस किया जाए।
  • आउट ऑफ स्कूल बच्चों का चिन्हांकन किया जाए तथा शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित कराया जाए। इस हेतु वर्ष 2025-26 में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया जा रहा है किन्तु यह सुनिश्चित किया जाए कि 6 से 14 आयुवर्ग का कोई भी बच्चा नामांकन से वंचित न रहे ।





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