Tax Saving Rules : यदि आप भी अधिक टैक्स भरते हैं तो अपनाएं ये 44 तरीके और कम करें अपनी टैक्स देनदारी।

Tax Saving Rules : यदि आप भी अधिक टैक्स भरते हैं तो अपनाएं ये 44 तरीके और कम करें अपनी टैक्स देनदारी।

सरकारी नियमों के मुताबिक टैक्स दो तरह से कम किया जाता है। पहला छूट (Exemption) और दूसरा कटौतियां (Deduction). पहले तरीके यानी छूट (Exemption) में आपकी कमाई का कुछ हिस्सा टैक्स के योग्य नहीं माना जाता है। कुछ मदों के तहत आपको मिलने वाली आय कर (Tax) के दायरे से बाहर है। जैसे एचआरए (HRA), एलटीए (LTA), ट्रांसपोर्ट भत्ता (TA) आदि।

Tax Saving Rules

दूसरे तरीके से यानी कटौती (Deduction) के तौर पर आपके कुछ खास तरह के खर्च आपको टैक्स बचाने का मौका देते हैं। आप इन निश्चित तरीकों से जितना अधिक पैसा निवेश करेंगे, आपकी कर योग्य आय (Taxable Income) उतनी ही कम होगी। जैसे ईपीएफ (EPF), पीपीएफ (PPF), ईएलएसएस (ELSS), एनएससी (NSC), एनपीएस (NPS), सुकन्या समृद्धि आदि।

लेकिन सबसे बड़ी कर रियायत करमुक्त आय से होती है। जी हां, इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक एक निश्चित सीमा तक की कमाई टैक्स के दायरे से बाहर होती है। जिसकी सीमा 2.5 लाख रुपये है।

*सर जी की पाठशाला* के इस पोस्ट में हमने टैक्स छूट के तरीकों को चार श्रेणियों में बांटा है। इससे आपको समझने में आसानी होगी।

  • (A) कर-मुक्त आय (Tax Free Income)
  • (B) धारा 80C के तहत कटौती (Deductions unders section 80C)
  • (C) 80C के अलावा अन्य कटौतियाँ (Deductions Other Than 80C)
  • (D) कर मुक्त भत्ते और खर्चे (Tax Free Allowances)

इस पोस्ट में आज हम आपको टैक्स (Tax) बचाने के 44 तरीके बता रहे हैं जोकि इस प्रकार से हैं -

(A) कर-मुक्त आय (Tax Free Income)

1. ईपीएफ खाते में नियोक्ता द्वारा जमा की गई राशि। (Amount deposited by Employer in EPF)

पीएफ खाते में आपके द्वारा जमा की गई राशि धारा 80C के तहत कर से मुक्त है। ईपीएफ में आपके नाम से जमा किया गया दूसरा भाग जो नियोक्ता द्वारा जमा किया जाता है वह भी कर छूट की श्रेणी में आता है। यानी इस पर भी आपको टैक्स नहीं देना होगा। नियोक्ता का यह हिस्सा आपके मूल वेतन के 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे ज्यादा होने पर आपको बची हुई रकम पर टैक्स देना होगा।

2. शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड पर मिलने वाला लाभ (Profit on shares or equity mutual funds)

अगर आपने शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया है तो एक साल बाद इन्हें बेचने पर मिलने वाला मुनाफा पूरी तरह टैक्स फ्री है। क्योंकि इसकी गणना लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के तहत की जाती है। शेयरों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कोई कर नहीं है। इतना ही नहीं, शेयरधारकों को मिलने वाला लाभांश भी कर मुक्त होता है। क्योंकि कंपनी अपने शेयरधारकों को लाभांश देने से पहले ही सरकार को लाभांश वितरण कर का भुगतान कर चुकी होती है।

3. शादी / विवाह में मिले उपहार (Wedding Gifts)

शादी में दोस्तों और रिश्तेदारों से मिले तोहफे पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है, बशर्ते कि ये उपहार आपकी शादी की तारीख के आसपास ही मिलने चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि शादी 10 मार्च को हो और उपहार एक साल या छह महीने बाद दिया जाए। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इन उपहारों की कीमत 50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर गिफ्ट भी टैक्स के दायरे में आएगा।

4. बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज (Interest on Savings Account)

आपके सेविंग अकाउंट पर 10,000 रुपये तक के सालाना ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। अगर यह 10,000 रुपये से ज्यादा है तो अतिरिक्त रकम पर टैक्स देना होगा। एक वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट पर 10,000 रुपये से ज्यादा मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होता है।

5. एनआरई-बचत और एफडी खाते पर ब्याज (Interest on NRE-Savings and FD Account)

यदि आप एक एनआरआई हैं, तो आपके एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाते पर प्राप्त ब्याज भी भारत में पूरी तरह से कर मुक्त है। इसमें बचत खाता और एफडी (सावधि जमा) दोनों खातों पर ब्याज शामिल है। चूंकि एनआरई खाते में जमा राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है, इसलिए इस पर टीडीएस भी नहीं काटा जाता है। यह सुविधा सिंगापुर, यूएई जैसे देशों में रहने वाले भारतीयों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि इन देशों में बहुत कम ब्याज दरों (2 से 3 प्रतिशत) पर ऋण उपलब्ध है। भारत में इस ऋण को एनआरई खाते के तहत जमा करने पर बेहतर ब्याज मिलता है और टैक्स भी नहीं देना पड़ता है।

6. साझेदारी फर्म के रूप में प्राप्त लाभ (Profit received as a Partnership Firm)

यदि आप किसी फर्म में भागीदार हैं, तो लाभ के शेयर के रूप में प्राप्त आपका हिस्सा कर दायित्व से मुक्त होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनी इस पर पहले ही टैक्स चुका देती है। यहां ध्यान रखें कि टैक्स छूट सिर्फ मुनाफे पर है, आपको मिलने वाली सैलरी पर नहीं।

7. जीवन बीमा क्लेम या परिपक्वता राशि (Life insurance claim or maturity amount)

अगर आपने जीवन बीमा करवाया है तो आपके क्लेम या मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है। किंतु शर्त यह है कि इसका प्रीमियम बीमा राशि के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे ज्यादा प्रीमियम होने पर अतिरिक्त रकम पर टैक्स देना होगा। यदि आपने परिवार के किसी विकलांग या गंभीर रूप से बीमार सदस्य के लिए बीमा पॉलिसी ली है, तो प्रीमियम राशि बीमा राशि का 15 प्रतिशत हो सकती है।

8. वीआरएस में प्राप्त राशि (Amount received as VRS)

अगर आपने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लिया है तो आपको मिलने वाली रकम पर 5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है। हालाँकि, यह सुविधा केवल सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए है, निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए नहीं।

9. विरासत या वसीयत द्वारा प्राप्त संपत्ति (Property received by inheritance or will)

आपको अपने माता-पिता से विरासत में मिली संपत्ति, आभूषण या नकदी पर कोई कर नहीं देना होगा। इसी तरह, वसीयत के जरिए प्राप्त संपत्ति या नकद राशि को भी कर मुक्त आय माना जाता है। हां, ऐसी संपत्ति से आपको जो अतिरिक्त आय या ब्याज आदि मिलेगा, उस पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स देना होगा।

10. कृषि आय (Agriculture Income)

कृषि भूमि से होने वाली आय पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगता है। इसमें इससे होने वाली पैदावार और किराये के तौर पर मिलने वाली रकम भी शामिल होती है। कृषि फर्म बनाकर की गई खेती से प्राप्त आय भी इस छूट की हकदार है।

11. बिजनेस में खाने पीने का खर्च (Business Food Expenses)

यदि आप एक व्यवसायी हैं, तो आपको अक्सर ग्राहकों, विक्रेताओं और कर्मचारियों जैसे विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलना पड़ता है। अक्सर उन्हें खाना खिलाने में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों को व्यावसायिक व्यय के रूप में प्रस्तुत करके कर बचाया जा सकता है।

(B) धारा 80C के तहत कर छूट (Tax Exemption under Section 80C)

आयकर अधिनियम की धारा (80C) के तहत कुछ निवेशों और खर्चों पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। धारा 80C के तहत कुल छूट केवल 1.5 लाख रुपये तक ही प्राप्त की जा सकती है। यह सीमा समय-समय पर बदलती रहती है। 

आइए जानते हैं क्या हैं 80C के तहत निवेश और खर्चे और टैक्स छूट 

(i) कर्मचारी भविष्य निधि (Employee Provident Funds)

कंपनी या नियोक्ता की ओर से आपके नाम पर कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में पैसा जमा किया जाता है। इसमें आपका हिस्सा मूल वेतन का 12% होता है और नियोक्ता का भी इतना ही हिस्सा होता है। इसमें आप अपने शेयर पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं। इस राशि पर मिलने वाला ब्याज भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स फ्री है।

(ii) स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund)

आप चाहें तो अपनी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी से ज्यादा रकम ईपीएफ में जमा कर सकते हैं। 12% की अनिवार्य कटौती के अलावा आप ईपीएफ खाते में जो भी जमा करते हैं उसे स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) कहा जाता है। इस वीपीएफ पर 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है।

(iii) लोक भविष्य निधि (Public Provident Fund)

ईपीएफ की तरह ही पीपीएफ यानी लोक भविष्य निधि भी होता है, जिसमें आप बैंक या डाकघर में खाता खोलकर पैसा जमा कर सकते हैं। इस खाते में आप नियमित रूप से पैसे जमा कर सकते हैं। खाता खोलने की तारीख से 15 साल तक पैसा लॉक रहता है। इस खाते में हर साल कम से कम 500 रुपये जमा करना जरूरी है। इसमें जमा की गई राशि पर धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है।

(iv) जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance Premium)

सभी प्रकार की जीवन बीमा योजनाओं के प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है। यह कोई भी टर्म प्लान, पारंपरिक प्लान, यूलिप, मनीबैक पॉलिसी आदि हो सकता है। यह छूट सिर्फ आपकी पॉलिसी पर नहीं  बल्कि आप अपने परिवार के सदस्यों (आश्रितों) के बीमा प्रीमियम पर टैक्स कटौती का लाभ उठा सकते हैं। बशर्ते, आप उनका प्रीमियम स्वयं भर रहे हों।

(v) पेंशन योजना (Pension Funds)

सरकार पेंशन स्कीम पर टैक्स छूट भी देती है। राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में सालाना जमा की गई 1.5 लाख रुपये तक की राशि धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए अनुमन्य है। एनपीएस के अलावा, म्यूचुअल फंड की पेंशन योजनाएं भी कर कटौती की हकदार हैं।

(vi) इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम Equity Linked Savings Scheme -ELSS)

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, इसीलिए इसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी कहा जाता है। इसमें इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह आपके पैसे को शेयरों में निवेश किया जाता है। फर्क सिर्फ इतना है कि ईएलएसएस में जमा किया गया पैसा तीन साल के लिए लॉक हो जाता है।

(vii) स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क (Stamp duty and registration fee)

घर खरीदने के लिए आप जो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाते हैं, उसे 80C कटौती में शामिल किया जा सकता है। चाहे आपने घर होम लोन लेकर खरीदा हो या अपनी पूंजी से, यह टैक्स छूट दोनों ही स्थिति में मिलेगी।

(viii) इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड (Infrastructure Bonds)

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से जुड़ी कंपनियां जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी आदि इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करती हैं। ये कंपनियां इन बांड्स पर आकर्षक ब्याज देती हैं। इन पर निवेश की गई राशि भी धारा 80सी के तहत कर छूट के दायरे में आती है।

(ix) फिक्स्ड डिपोजिट - सावधि जमा (Fixed Deposit)

बैंक अपने ग्राहकों को पांच साल की टैक्स सेविंग एफडी उपलब्ध कराते हैं। इनमें जमा की गई आपकी रकम पर धारा 80सी के तहत टैक्स से छूट मिलती है। यहां ध्यान रखें कि छूट केवल मूलधन पर मिलती है, उस पर मिलने वाले ब्याज पर नहीं। ब्याज पर देना होगा टैक्स।

(x) 5 वर्षीय डाकघर सावधि जमा  (Post Office Time Deposit)

पोस्ट ऑफिस में पांच साल के लिए डिपॉजिट FD की रकम भी टैक्स छूट के दायरे में है। हालांकि, POTD में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज पर आपको टैक्स देना होगा।

(xi) सुकन्या समृद्धि खाता  (Sukanya Samriddhi Account)

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खोले गए खातों पर धारा 80सी के तहत कर कटौती भी उपलब्ध है। आप अपनी 10 साल तक की दो बेटियों के नाम पर पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि खाता खुलवा सकते हैं।

(xii) राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र एनएससी  (Savings Certificates - NSC)

एनएससी भी एक पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम है। इसमें आप पांच साल के लिए 100 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के सर्टिफिकेट खरीद सकते हैं। इन पर जमा की गई रकम पर आप धारा 80C के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं। ध्यान रखें, एनएससी में जमा राशि पर ब्याज पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती है।

(xiii) वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizen Saving Scheme)

अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है तो आप सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाता खुलवा सकते हैं। इस खाते में जमा राशि धारा 80 सी के तहत कर छूट के लिए पात्र है। 55 साल के बाद वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले और सेना से सेवानिवृत्त होने वाले लोग 60 साल से पहले भी यह खाता खोल सकते हैं।

(xiv) बच्चों की ट्यूशन फीस (Children’s Tuition Fees)

आप अपने बच्चों की शिक्षा के लिए जो ट्यूशन फीस चुकाते हैं, वह भी धारा 80C के तहत कर बचत के दायरे में आती है। यह छूट केवल स्कूल, कॉलेज या संस्थान में जमा की गई ट्यूशन फीस पर ही मिलती है। अन्य मदों जैसे स्मार्ट क्लास, विकास शुल्क, पंजीकरण शुल्क आदि पर कोई छूट नहीं है। यह छूट केवल पूर्णकालिक पाठ्यक्रमों के लिए दो बच्चों के अध्ययन तक सीमित है।

(C) 80C के अलावा अन्य कटौतियाँ (Deductions Other Than 80C)

(i) स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance)

अगर आपने अपने, अपने जीवनसाथी या अपने बच्चों के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी ली है तो उसका प्रीमियम भी धारा 80D के तहत कर मुक्त है। यह छूट सामान्य नागरिकों के लिए 20,000 रुपये तक और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30,000 रुपये तक के वार्षिक प्रीमियम पर उपलब्ध है।

(ii) गंभीर बीमारी से ग्रस्त का उपचार (Dependent With Serious Illness)

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो आप उसकी देखभाल में होने वाले 40,000 रुपये तक के खर्च पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। अगर बीमार व्यक्ति सीनियर सिटीजन है तो उसे 60,000 रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकती है और अगर वह सुपर सीनियर सिटीजन है तो उसे 80,000 रुपये तक के खर्च पर टैक्स छूट मिल सकती है। कैंसर, एड्स, डिमेंशिया, पार्किंसंस, थैलेसीमिया आदि रोग इसी श्रेणी में आते हैं। (धारा 80DDB के तहत)

(iii) आश्रित विकलांगों की देखभाल (Care Of Disabled Dependent)

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य विकलांग है तो उसकी देखभाल पर होने वाले खर्च को सेक्शन 80DD के तहत टैक्स छूट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि करदाता स्वयं अक्षम हो जाता है तो धारा 80U के तहत इसका लाभ उठाया जा सकता है। विकलांग लोगों को भी सामान्य व्यक्ति की तुलना में उनकी आय में काफी हद तक छूट मिलती है। धारा 80U के तहत, विकलांगता की गंभीरता या स्तर के आधार पर, वह अधिकतम 10 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट प्राप्त कर सकता है।

(iv) बच्चों का बचत खाता  (Children's Saving Account)

अक्सर बच्चे अपनी प्रतिभा के दम पर प्रतियोगिताओं या स्टेज परफॉर्मेंस के जरिए कुछ पैसे इकट्ठा कर लेते हैं। ऐसी आय में से आप बच्चे की कमाई के रूप में अपनी आय में जोड़कर 1500 रुपये तक कर छूट का लाभ उठा सकते हैं। इस आधार पर बच्चों के नाम पर बचत खाता खोलने पर 1500 रुपये तक की सालाना जमा राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। यह सुविधा केवल दो बच्चों तक ही सीमित होगी। इस तरह सेक्शन 64(1A) के तहत आप कम से कम 3000 रुपये की सालाना आय पर टैक्स से छूट पा सकते हैं।

(v) शिक्षा ऋण ब्याज (Interest Of Education Loan)

उच्च अध्ययन यानी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर की पढ़ाई के लिए लिए गए शिक्षा ऋण पर आप जो ब्याज देते हैं, वह कर से मुक्त होता है। यह किसी भी राशि के ऋण पर लागू होता है। चाहे आप देश या विदेश में कहीं भी पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लें, आपको यह छूट मिलती है। आप अपने बच्चे, जीवनसाथी या गोद लिए हुए बच्चे के लिए भी यह छूट पा सकते हैं। यह तब भी है जब आपकी आय पहले से ही कर योग्य आय स्लैब में है। इस छूट का लाभ शिक्षा ऋण लेने वाला और ऋण चुकाने वाले उसके माता-पिता उठा सकते हैं। (धारा 80E के तहत)

(vi) एजुकेशनल स्कॉलरशिप (Educational Scholarship)

पढ़ाई या रिसर्च के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है। चाहे वह सरकार द्वारा दिया गया हो या किसी निजी संस्था द्वारा। यह छूट स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज स्तर तक किसी भी स्तर पर लागू है।

(vii) रॉयल्टी और पेटेंट (Royalty And Patent)

रॉयल्टी और पेटेंट पर प्राप्त राशि कर से मुक्त है। हालाँकि, इसकी सीमा केवल 3 लाख रुपये तक ही है। इससे अधिक आय होने पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। (धारा 80RRB)

(viii) चैरिटी या डोनेशन (Charity Or Donations)

भले ही आप सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों, वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थानों को दान या दान में पैसा देते हैं, आपके द्वारा दी गई राशि कर छूट के लिए पात्र है। यह छूट आपको अलग-अलग मामलों में सेक्शन 80G, 80GGA, 80GGC के तहत मिल सकती है।

(ix) होमलोन का ब्याज (Interest On Home Loan)

इनकम टैक्स की धारा 24 के मुताबिक आपको होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज में भी छूट मिलती है। होम प्रॉपर्टी से होने वाली आय को होम लोन के ब्याज से घटाने के बाद बची रकम पर आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। यह होम लोन किसी भी प्रकार का हो सकता है, निर्माण, मरम्मत, खरीद, घर का उन्नयन, किसी भी उद्देश्य के लिए। यह छूट प्रति वर्ष अधिकतम 2 लाख रुपये तक ही मिलेगी। यह प्रावधान आईटी अधिनियम की धारा 80 ईई (बजट 2013 में शामिल) में भी किया गया है।

(x) ग्रेच्युटी के रूप में प्राप्त राशि (Amount As Gratuity)

अगर आपने पांच साल की नौकरी पूरी कर ली है तो नौकरी छोड़ने पर मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम पर इनकम टैक्स छूट मिलती है। कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में यह छूट आपकी पत्नी, बच्चे या अन्य आश्रित को भी कुछ शर्तों के साथ दी जा सकती है। यह छूट केवल 20 लाख रुपये तक की रकम पर ही मिलेगी और ग्रेच्युटी का भुगतान नियमानुसार किया जाएगा।

(xi) कैपिटल गेन पर नुकसान को समायोजित करके  (Adjustment Of Capital Loss)

किसी प्रॉपर्टी, स्टॉक आदि को बेचने पर आपको जो लाभ मिलता है, उसे कैपिटल गेन कहा जाता है। कभी-कभी हानि भी होती है, इसे पूंजीगत हानि कहते हैं। एक साल के भीतर बेचे गए शेयरों से होने वाले नुकसान को शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस कहा जाता है। किसी भी शेयर से होने वाले अल्पकालिक पूंजीगत नुकसान को अन्य अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के साथ समायोजित करके टैक्स बचाया जा सकता है। अगर चालू वित्तीय वर्ष में इसे नहीं दिखाया गया तो इसे अगले 8 वित्तीय वर्षों के लिए कभी भी रद्द किया जा सकता है. यहां ध्यान रखें कि शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को केवल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन से ही समायोजित किया जा सकता है। इसी तरह, लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से समायोजित किया जाता है।

(D) कर मुक्त भत्ते और खर्चे (Tax Free Allowances)

(i) मकान किराया भत्ता (HRA)

अगर आप किराए के घर में रहते हैं तो कंपनी से मिलने वाला एचआरए या हाउस रेंट अलाउंस भी टैक्स छूट के योग्य है। यह आपके निवास के शहर के आधार पर मूल वेतन का 40 से 50 प्रतिशत तक हो सकता है। टैक्स छूट के लिए तीन शर्तों की तुलना की जाती है. भुगतान किए गए किराए में से आपके वेतन का 10 प्रतिशत काटने के बाद, एचआरए के रूप में प्राप्त राशि आपके वेतन का 40 प्रतिशत है। तीनों में से जो रकम सबसे कम होगी उस पर आपको टैक्स से छूट मिल सकती है।

(ii) मोबाइल और इंटरनेट बिल (Mobile And Internet Bill)

आप अपनी नौकरी के दौरान संचार और सूचना के माध्यम के रूप में टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट आदि के लिए कंपनी से मिलने वाली पूरी रकम पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इस छूट के लिए इन खर्चों को दर्शाने वाला आपका पोस्टपेड बिल ही मान्य होगा।

(iii) चिकित्सा प्रतिपूर्ति (Medical Reimbursement)

आपके और आपके परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए दवाओं और उपचार खर्चों के लिए कंपनी द्वारा प्राप्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति भी कर छूट के लिए पूरी तरह से पात्र है। इसकी सीमा मात्र 15000 रुपये प्रति वर्ष है. आपको कंपनी के HR विभाग में उचित बिल भी प्रस्तुत करना होगा।

(iv) अवकाश यात्रा भत्ता (Leave Travel Allowance - LTA)

आपको कंपनी से मिलने वाला एलटीए अवकाश यात्रा भत्ता भी पूर्ण कर छूट के अंतर्गत आता है। यह कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों को छुट्टियों के दौरान कहीं जाने के लिए दिया जाने वाला भत्ता है। इस भत्ते का लाभ चार साल में केवल दो दौरों के लिए ही लिया जा सकता है। जिसकी रसीद भी प्रस्तुत करनी होगी। ध्यान रखें कि इस मद के तहत कंपनी केवल आपके यात्रा खर्च यानी टिकट का खर्च ही देती है, दौरे के दौरान भोजन, आवास आदि का खर्च नहीं।

(v) मनोरंजन भत्ता (Entertainment Allowance)

अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो आप मनोरंजन भत्ते पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। आपको यह कर छूट आपके वेतन के पांचवें हिस्से, मनोरंजन पर आपके कुल खर्च या 5,000 रुपये की राशि, जो भी कम हो, पर मिलती है।

(vi) परिवहन भत्ता (Transport Allowance)

आपके निवास से कार्यालय या कार्यस्थल और कार्यस्थल से निवास तक आने-जाने के लिए आपको कंपनी से मिलने वाला परिवहन भत्ता भी कर छूट के लिए पात्र है। यह छूट आपके वेतन में उल्लिखित राशि पर उपलब्ध है जो 1600 रुपये प्रति माह या ₹ 19,200 से अधिक नहीं हो सकती।

(vii) यातायात खर्च (Travelling Expenses)

ट्रांसपोर्ट अलाउंस के अलावा ऑफिस से जुड़े काम के लिए आने-जाने का खर्च भी इस मद में आता है. इस मद में मिलने वाली पूरी रकम टैक्स छूट के दायरे में आती है. इसकी कोई अधिकतम सीमा भी नहीं है.

(viii) बच्चों की पढ़ाई व हॉस्टल खर्चे पर एलाउंस  (Children’s Study Allowance)

अगर आपके नियोक्ता की ओर से आपको बच्चों की पढ़ाई के लिए भत्ता दिया जा रहा है तो इसे भी टैक्स से छूट माना जाएगा. हालाँकि, इसकी सीमा 100 रुपये प्रति बच्चा है और वह भी केवल दो बच्चों तक। साथ ही अगर हॉस्टल खर्च के लिए भत्ता दिया जा रहा है तो उस पर भी टैक्स छूट मिलेगी। इस पर कर कटौती योग्य व्यय की सीमा 300 रुपये प्रति माह है, जो केवल दो बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। अधिक खर्च होने पर अतिरिक्त रकम पर टैक्स लगेगा।

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