शिक्षकों के सेवा संबंधी मामले लटकाने पर नपेंगे अधिकारी

लखनऊ। लंबित मामलों की प्रतिमाह होगी समीक्षा शिक्षकों की सेवा संबंधी लंबित मामलों की शासन अब प्रतिमाह समीक्षा करेगा। जिस स्तर पर ऐसे प्रकरण लंबित होंगे उसके लम्बित होने का कारण पूछा जाएगा। अगर जवाब संतोषप्रद नहीं मिला तो ऐसे अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शासन ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक को ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर उनकी पूरी सूची भी 15 दिसम्बर तक तलब की है।

बेसिक से लेकर हाईस्कूल तक के शिक्षकों की इस तरह की समस्याएं हजारों में हैं, जिनकी विनियमितीकरण से लेकर वेतन वृद्धि व पेंशन पुनरीक्षण जैसे अनेक मामले लंबे समय से लटके पड़े हैं। परिणामस्वरूप हजारों शिक्षक अपने इस तरह के प्रकरणों को लेकर अदालतों का रुख कर चुके हैं। बताया जाता है कि इनमें ज्यादातर समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान जिले या मंडल स्तर के अधिकारी आसानी से कर सकते हैं लेकिन उसे जानबूझकर लटकाया जाता है। इसमें भ्रष्टाचार के भी खूब आरोप लगते हैं। एक अनुमान के अनुसार, इस समय विभिन्न अदालतों में ऐसे करीब 7500 मामले लंबित हैं। कुछ प्रकरणों में तो कोर्ट ने अधिकारियों को खूब लताड़ा भी और खिलाफ निर्णय भी दिए हैं। इससे खराब हो रही छवि को देखते हुए शासन ने ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।

सांकेतिक चित्र

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी कहते हैं कि शिक्षा अधिकारियों की मनमानी एवं स्वेच्छा चरिता के चलते दिनों दिन सरकार की छबि धूमिल हो रही है। अधिकारियों द्वारा सही तथ्यों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत न कर गुमराह किया जाता रहा है। इस कारण सरकार को न्यायालय में बार-बार मुंह की खानी पड़ रही है।

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