परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के विलय को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सहित शिक्षक संगठनों ने खड़े किए सवाल !
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के विलय को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सहित शिक्षक संगठनों ने खड़े किए सवाल !
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने के फैसले को अनुचित ठहराया है। यदि इन स्कूलों को बंद किया गया तो ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे? पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित है।
सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और पदाधिकारियों ने सरकार के इस कदम की घोर निंदा करते हुए इस फैसले का विरोध किए जाने की बात की गई है।
1. यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे? 1/3
— Mayawati (@Mayawati) November 3, 2024
2. यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित। 2/3
— Mayawati (@Mayawati) November 3, 2024
सर्व शिक्षा अभियान में छोटे बच्चों विशेषकर बच्चियों को घर के पास शिक्षा उपलब्ध करने के उद्देश्य से दूरी के आधार पर प्रत्येक गाँव/मझरे में स्कूल स्थापित किए गए हैं ,संख्या मानक नहीं थी ।इस निर्णय से ग़रीब बच्चों से शिक्षा दूर हो जाएगी ।इस निर्णय को बापस लेना चाहिये।#SaveSchools https://t.co/cn4uOgfJy4
— Dr Dinesh Chandra Sharma (@DrDCSHARMAUPPSS) November 3, 2024