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बेसिक शिक्षा विभाग में तीन करोड़ के गबन का मामला: शिक्षक के खातों में 77 लाख नहीं, एक करोड़ रुपये भेजे गए

Sir Ji Ki Pathshala

अमेठी जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में सामने आए करोड़ों रुपये के गबन प्रकरण में लगातार नए और चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं। ताजा जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि एक आरोपी शिक्षक के दो बैंक खातों में पहले बताए गए 77 लाख रुपये के बजाय करीब एक करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे। इसके बावजूद जांच प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है और विभागीय उदासीनता के चलते गबन की गई धनराशि की रिकवरी भी नहीं हो पाई है।


यह मामला 21 मार्च को तब सामने आया, जब बेसिक शिक्षा विभाग के लेखा अनुभाग में तैनात सहायक लेखाधिकारी किशन गुप्ता ने लेखा लिपिक मनोज कुमार मालवीय, शिक्षक शैलेशचंद्र शुक्ल, श्रवण कुमार द्विवेदी तथा आउटसोर्सिंग कर्मी शिवम और अभिषेक के खिलाफ 3.13 करोड़ रुपये के गबन की प्राथमिकी दर्ज कराई। मामले की जांच का जिम्मा खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) गौरीगंज अर्जुन सिंह भदौरिया को सौंपा गया, जो पिछले नौ महीनों से इसकी जांच कर रहे हैं।


घोटाला


जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि शिक्षक श्रवण कुमार द्विवेदी के दो बैंक खातों में 77 लाख रुपये नहीं, बल्कि लगभग एक करोड़ रुपये का अंतरण किया गया। यह धनराशि शिक्षकों के एरियर और अन्य मदों की बताई जा रही है। इस खुलासे से गबन की वास्तविक राशि को लेकर संदेह और गहरा हो गया है।


प्रकरण में शामिल शिक्षक श्रवण कुमार द्विवेदी के साथ-साथ शैलेश शुक्ल को भी नोटिस जारी किया गया है। बीईओ के अनुसार, श्रवण कुमार द्विवेदी से संबंधित जांच अब अंतिम चरण में है और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को सौंप दी जाएगी।


बीईओ गौरीगंज अर्जुन सिंह भदौरिया ने बताया कि जांच में देरी का कारण संबंधित शिक्षकों का सहयोग न करना और बार-बार मेडिकल अवकाश पर चले जाना रहा। उन्होंने बताया कि एक शिक्षक से संबंधित जांच पूरी कर रिपोर्ट पहले ही सौंप दी गई है, जबकि दूसरे शिक्षक की जांच अंतिम दौर में है और सात दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट दे दी जाएगी।


बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार तिवारी ने कहा कि पूरे मामले की गहन जांच चल रही है। बीईओ की रिपोर्ट मिलने के बाद उसका परीक्षण किया जाएगा और दोनों शिक्षकों को अंतिम नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। प्राप्त जवाब के आधार पर आगे की विभागीय और कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।


तीन करोड़ रुपये से अधिक के इस गबन प्रकरण ने बेसिक शिक्षा विभाग की वित्तीय व्यवस्था और निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई की जाती है और गबन की गई राशि की वसूली कब तक संभव हो पाती है।

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