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01 सितंबर 2025 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के "TET अनिवार्यता" के आदेश से प्रभावित देश के 95 लाख शिक्षकों के पक्ष में सदन में आवाज उठाने के संदर्भ में

Sir Ji Ki Pathshala

नई दिल्ली: देश के लगभग 95 लाख (25 लाख सरकारी एवं 75 लाख गैरसरकारी) शिक्षकों एवं उनके परिवार के अस्तित्व की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए माननीय सांसद राघव चड्ढा जी से सदन में आवाज उठाने की अपील की गई है।

सुप्रीम कोर्ट का अप्रत्याशित आदेश

01 सितंबर 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा RTE एक्ट कानून का हवाला देते हुए "टेट अनिवार्यता" का एक निर्णय आया है। इस आदेश के क्रम में देश के सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए टेट अनिवार्य घोषित कर दिया गया है। आदेशानुसार, सभी शिक्षकों (जिनकी सेवा पांच वर्ष से ज्यादा बची है) को सेवा में बने रहने के लिए 02 वर्ष के अंदर टेट अनिवार्य रूप से पास करना होगा, अन्यथा उन्हें सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।


TET MATTER


कानूनी विसंगति और शिक्षकों की चिंता

विदित हो कि देश में RTE Act "01 अप्रैल 2010" से लागू हुआ और NCTE ने इससे जुड़ी शर्तों का नोटिफिकेशन "23 अगस्त 2010" में जारी किया, जो "29 जुलाई 2011" से प्रभावी है। सामान्यतः कोई भी कानून उसके बनने की तिथि से प्रभावी होता है, लेकिन इस आदेश के तहत उन शिक्षकों पर भी टेट की शर्त थोपी जा रही है जिनकी नियुक्ति 2011 से पूर्व अर्थात कानून लागू होने से पहले हुई है।

न्याय की गुहार

शिक्षकों का मानना है कि यह आदेश अव्यवहारिक, अन्यायपूर्ण, असंवेदनशील एवं प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। सेवा क्षेत्र में यह संभवतः पहला अवसर है जब कोई कानून बनने के पहले के लोगों की सेवा शर्तों पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है। इससे लाखों शिक्षकों एवं उनके करोड़ों परिवारों के सामने जीविकोपार्जन का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

सदन में 'आरटीई एक्ट संशोधन बिल' की मांग

देश के लाखों शिक्षकों ने सांसद राघव चड्ढा जी से सविनम्र निवेदन किया है कि वे आगामी बजट सत्र में अपने विधायी अधिकार का प्रयोग करते हुए सदन में इस विषय को रखें। मांग की गई है कि सदन अपनी विधायी शक्ति का प्रयोग कर "आरटीई एक्ट संशोधन बिल" लाए, ताकि शिक्षकों के अस्तित्व की रक्षा हो सके और उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित रहे।


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