सेवारत शिक्षकों पर न हो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता

सेवारत शिक्षकों पर न हो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता

कासगंज। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने सेवारत शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता से बाहर करने की मांग की है। इसके विरोध में संगठन की ओर से एसडीएम माेहम्मद नासिर को ज्ञापन सौंपा। जिला अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने कहा कि एनसीटीई ने शिक्षक पात्रता परीक्षा की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 में जारी की।

शिक्षा अधिकार अधिनियम-2011 में लागू किया गया। ऐसी स्थिति में उपरोक्त अधिसूचनाओं के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में लाना उचित नहीं है। इससे देश के लगभग 40 लाख शिक्षक और उनके परिवार प्रभावित होंगे। शिक्षक के रूप में सेवा के अंतिम पड़ाव पर आयु अधिक होने के कारण किसी परीक्षा से गुजरना देश के बेसिक शिक्षकों के लिए कठिन भी है। परीक्षा के नियमों तथा शर्तों के अनुसार शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रतिभाग करने के लिए योग्यता स्नातक एवं बीएड/बीटीसी प्रशिक्षण आवश्यक है। 

वर्ष 2001 से पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षक इंटरमीडिएट एवं बीटीसी प्रशिक्षण योग्यता धारी हैं। परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थियों की आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित है। इससे ऐसे शिक्षक परीक्षा में शामिल होने की पात्रता नहीं रखते। मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त शिक्षक 31 दिसंबर 1999 तक प्रशिक्षण योग्यता से शासन द्वारा मुक्त हैं। इस कारण शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए वह भी आवेदन नहीं कर पाएंगे। वर्ष 2018 से बेसिक शिक्षक की योग्यता बीटीसी/डीएलएड निर्धारित की गई है। ऐसे में पात्रता के अभाव में शिक्षक परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते। इससे शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। परीक्षा के निर्णय पर फिर से विचार किया जाए। इस दौरान हाशिम बेग, जावेद, शिव कुमार, अमित यादव, सत्य नारायन, हर्ष सोलंकी, मुहम्मद अली ताज, सत्य प्रकाश, राजेश शाक्य, योगेश दीक्षित ,राहुल मिश्रा आदि मौजूद रहे।


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