Type Here to Get Search Results !

सभी परिषदीय प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों को 'निपुण विद्यालय' के रूप में विकसित करने के लिए वार्षिक लक्ष्य तय, बच्चों की हाजिरी 80% अनिवार्य

Sir Ji Ki Pathshala

सभी परिषदीय प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों को 'निपुण विद्यालय' के रूप में विकसित करने के लिए वार्षिक लक्ष्य तय, बच्चों की हाजिरी 80% अनिवार्य

लखनऊ, प्रदेश के सभी परिषदीय प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों को 'निपुण विद्यालय' के रूप में विकसित करने के लिए वार्षिक लक्ष्य तय कर दिए गए हैं। प्रत्येक स्कूल में न्यूनतम 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य रहेगी। कक्षा और विषयवार पाठ्यक्रम को हर महीने पूरा करना होगा। सभी जिलों को स्पष्ट कर दिया गया है कि 31 मार्च, 2026 तक कक्षा दो के सभी छात्र पढ़ने-लिखने और गणना की आधारभूत दक्षता हासिल करें। खंड शिक्षा अधिकारी, डायट मेंटर्स, एसआरजी, एआरपी और शिक्षक संकुल को इसकी पूरी जिम्मेदारी दी गई है।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्रधानाचार्यों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें हर खंड शिक्षा अधिकारी अपने क्षेत्र के 21 स्कूलों को 'निपुण विद्यालय' के रूप में विकसित करेंगे। वहीं, प्रत्येक शिक्षक संकुल, एसआरजी व एआरपी को 10 विद्यालयों में

कक्षा दो तक पढ़ने व लिखने की दक्षता अनिवार्य, जारी किए गए निर्देश

मूल शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए मिशन के उद्देश्यों को लागू करना होगा। शिक्षकों को प्रशिक्षण के अनुसार शिक्षण पद्धतियों को कक्षा में अपनाने, छात्रों की प्रगति का सतत आकलन करने और उपचारात्मक कक्षाएं चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।

जारी पत्र में कहा गया है कि 'लर्निंग एट होम' को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों से संवाद बनाए रखें। उन्हें दीक्षा एप, रीड अलांग और खान अकादमी जैसे प्लेटफार्म के प्रयोग के लिए प्रेरित करें। साथ ही, विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठकों के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करें।

दिसंबर और फरवरी में होगा मूल्यांकन 

डायट स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त डीएलएड प्रशिक्षुओं से दो चरणों (दिसंबर 2025 और फरवरी 2026) में इन विद्यालयों का शैक्षणिक मूल्यांकन कराया जाएगा।

आदेश देखें 👇 



Top Post Ad

Bottom Post Ad