सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को भरने के लिए 'Lateral Entry' के मुद्दे की संसदीय समिति पड़ताल करेगी।

सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को भरने के लिए 'Lateral Entry' के मुद्दे की संसदीय समिति पड़ताल करेगी।

सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को भरने के लिए 'लेटरल एंट्री' के मुद्दे की संसदीय समिति पड़ताल करेगी। इन पदों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किए जाने को लेकर इस वर्ष की शुरुआत में राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया था।

Lateral Entry

लोकसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति द्वारा 2024-25 में पड़ताल के लिए चुने गए मुद्दों में सिविल सेवाओं में 'लेटरल एंट्री' भी शामिल है। इस वर्ष अगस्त में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिन्हें अनुबंध के आधार पर 'लेटरल एंट्री' के माध्यम से भरा जाना था। इनमें से 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक एवं उप सचिव के पद थे। इस विज्ञापन को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ सरकार में शामिल लोजपा और जदयू जैसी सहयोगी पार्टियों ने भी विरोध जताया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कई नेताओं ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करने पर सरकार की नीति की आलोचना की थी। इसके बाद सरकार ने यूपीएससी से विज्ञापन रद्द करने को कहा था।

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