SMC धनराशि के गबन, घोटाले और भ्रष्टाचार में कहीं वरिष्ठ सहायक अध्यापक सम्मिलित तो नहीं? जानें इस पक्ष का तकनीकी पहलू

SMC धनराशि के गबन, घोटाले और भ्रष्टाचार में कहीं वरिष्ठ सहायक अध्यापक सम्मिलित तो नहीं? जानें इस पक्ष का तकनीकी पहलू 
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खबर का शीर्षक पढ़ कर चौंक गये होंगे, पर तकनीकी रूप से यह सत्य है। अब हमारे सहायक अध्यापक साथी सोच रहे होंगे कि यह कैसे हो सकता है? हमने तो कुछ किया ही नहीं है। जी हां, ये ऐसे कि आपने कुछ किया ही नहीं है।

आइए इसे ऐसे समझते हैं -

विभाग के आदेश पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाओं में विद्यालयों की SMC के ZBSA खाते खुले हैं। वर्तमान में इस खाते के सभी ट्रांजेक्शन ऑनलाइन PFMS.NIC.IN के माध्यम से होते हैं। इसमें सहायक अध्यापक डाटा ऑपरेटर होते हैं और प्रधानाध्यापक डाटा अप्रूवर होते हैं।

अब आगे कुछ प्रश्नों के उत्तर सोचें-

  1. क्या आपको अपनी ID और PASSWORD ज्ञात हैं?
  2. आपके ID और PASSWORD आपके अलावा किसी और के पास तो नहीं हैं? (नियमानुसार प्रधानाध्यापक के पास भी नहीं होने चाहिए)
  3. अब तक आपने अपनी ID से कितनी राशि ऑपरेट/ट्रांजेकट कर दी?
  4. उस राशि से आपके विद्यालय में क्या कार्य हुए? और क्या सामान आया? वास्तव में भौतिक रूप में कार्य हुआ है या नहीं? सामान आया है या नहीं? 
  5. कार्य या सामान के बिल असली हैं या फर्जी कूटरचित

यदि उपर्युक्त प्रश्नों में अधिकांश के उत्तर नहीं में हैं, और कुछ प्रधानाध्यापक ने कुछ भी गलत किया है तो आप भी बिना कुछ करे तकनीकी रूप से फंस चुके हैं। 

याद रखें यदि आपके विद्यालय के किसी भी खाते में धनराशि पड़ी हुई है और आपने उसे हाथ भी नहीं लगाया तो केवल उदासीनता, लापरवाही का मामला बनता है। जोकि क्षम्य होता है। लेकिन धनराशि बाहर निकलने के बाद उसका दुरुपयोग हुआ है तो गबन का मामला बनता है। इसमें आगे चलकर बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में निलम्बन तो आम है। 

अतः जो ट्रांजेक्शन आपकी (सहायक अध्यापक वाली) ID से ऑपरेट हुये हैं, उनका हर तरह से हिसाब रखें। आवश्यक लगे तो अपनी एक डायरी बनाकर उसमें सभी ट्रांजेक्शन का हिसाब दिनांक, वेंडर, धनराशि सामान और काम के फोटो, बिल बाउचर नम्बर नोट करके रख लें। 
(AT हित में जारी)

🔴 कुछ प्रधानाध्यापक साइबर कैफे या कम्प्यूटर ग्रांट वालों से फोन पर या उनकी दुकान पर जाकर पूछ रहे हैं कि हमारे विद्यालय के SMC खाते में कितनी ग्रांट आयी है। इसका अर्थ तो ये निकल रहा है कि उन्होंने अपने वरिष्ठ सहायक अध्यापक को ऑपरेटर ID और पासवर्ड बताये ही नहीं हैं।

ऐसा करना भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318 के अन्तर्गत एक दण्डनीय अपराध है। यदि किसी भी वरिष्ठ सहायक अध्यापक ने शिकायत कर दी तो निलम्बन तो पक्का है।
(HM हित में जारी)

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